जुस्तुजू जिसकी थी उसको तो न पाया हमने – शहरयार

Justju jiski thi usko to na paaya humne

जुस्तुजू जिसकी थी उसको तो न पाया हमने
इस बहाने से मगर देख ली दुनिया हमने

सब का अहवाल वही है जो हमारा है आज
ये अलग बात कि शिकवा किया तन्हा हमने

ख़ुद पशीमान हुए ने उसे शर्मिंदा किया
इश्क़ की वज़्अ को क्या ख़ूब निभाया हमने

कौन सा क़हर ये आँखों पे हुआ है नाज़िल
एक मुद्दत से कोई ख़्वाब न देखा हमने

उम्र भर सच ही कहा सच के सिवा कुछ न कहा
अज्र क्या इस का मिलेगा ये न सोचा हमने

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शहरयार

Justju jiski thi usko to na paaya humne

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