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ननकू के क़िस्से

नानी और माँ घर के बाहर आँगन में खड़े थे। नानी माँ को नए-नए पेड़ दिखा रही थी। तभी माँ ने देखा कि ननकू बरामदे के पास आकर खड़ा हो गया है माँ ने उसे इशारे से बुलाया। माँ के पास आते ही ननकू ने देखा माँ एक प्यारा-सा फूल ननकू को दिखा रही थी। ननकू की आँखें खिल गयीं..

“माँ ये तो कितना प्यारा है…हम भी ऐसे फूल का पौधा लगाएँगे”- ननकू फूल की ओर देखता हुआ ही बोला

“ऐसे फूल का पौधा नहीं..यही पौधा लगाएँगे..नानी तेरे लिए ये पौधा लगायीं हैं…” माँ के ऐसा कहते ही ननकू ख़ुशी से आँखें बड़ी करके बोला “सच्ची नानी…??”

“हाँ मेरे लड्डू…” ये नाम सुनकर ननकू का मुँह बनते देख नानी मुस्कुरायीं और ननकू का गाल छूकर बोलीं- “मेरा प्यारा ननकू”

“नानी ये तो बहुत अच्छा गिफ़्ट है, मैं भी आपके लिए गिफ़्ट लाया हूँ”- ननकू सरप्राइज़ जैसी आवाज़ में बोला

“मेरे लिए…क्या लाया बेटा?”- नानी ये पूछते हुए, ननकू के साथ-साथ माँ की ओर देखने लगी। माँ ने मुस्कुराकर नानी को इशारा किया कि ननकू की बात सुन लें। ये बातें चल ही रही थी कि डॉली आती दिखायी दी..तीनों को आँगन में खड़ा देख वो भी वहीं आ गयी।

“माँ जी..सुबह उठते ही आप सुमन दीदी और बाबू को भी यहीं ले आयी। सुमन दीदी आपको पता है माँ जी तो सुबह से बग़ीचे में ही रहती हैं मैं जब काम करने आती हूँ तब यहीं रहते हैं फिर कॉलेज के लिए तैयार होती हैं और शाम को वापस आकर फिर यहीं..पूरे दिन कॉलेज में पढ़ाती हैं और बाक़ी दिन ये पेड़-पौधे को…”- ये कहते हुए डॉली हँसने लगी उसके साथ ही माँ भी हँसने लगीं।

नानी झेंपती हुई बोलीं- “बस..बस..तुम दोनों शुरू हो गयीं..जा डॉली तू अच्छा सा नाश्ता बना ले”
डॉली जाने लगीं कि माँ ने टोका- “अरे तू आज बच्चों को ले आती न..ननकू भी आया हुआ है साथ में खेल लेते…”

“हाँ दीदी, आ रहे हैं विक्की और विन्नी, वो देर कर रहे थे..नाश्ता बनाना था तो मैं जल्दी आ गयी..” कहकर डॉली अंदर चली गयी

ननकू जो इतनी देर से सोच रहा था कि नानी उसके गिफ़्ट के बारे में तो पूछे, उससे अब नहीं रहा गया तो उसने ख़ुद कहा “नानी मैं आपका गिफ़्ट दिखाऊँ?”

नानी लाड से बोलीं “हाँ मेरे लड्डू…मेरे ननकू..दिखा बेटा”

ननकू ने नानी को एक रंग-बिरंगा पेपर दिया। नानी ने आश्चर्य से माँ की ओर देखा, माँ ने इशारा किया कि नानी खोलकर देखें..नानी ने जैसे ही काग़ज़ खोला कुछ देर देखते हुए उनकी आँखें भर गयीं..उसमें ननकू ने नानी के लिए कविता लिखी थी:

“प्यारी नानी अच्छी नानी
मुझे सुनाना रोज़ कहानी
कहानी में हो राजा रानी
और बरसता छम छम पानी
पानी में भीगे-भीगे मेंढक,
चिड़िया और कबूतर
भीग-भीग के पहुँचेगे सब
अपने-अपने घर के अंदर
माँ सबको डाँट लगाए
बाल सुखाए दूध पिलाए
दूध पीकर सब चिल्लाए
नानी के घर हम भी आए”

माँ ने नानी से कहा “दादी से सीखा है कविता लिखना..पूरी डायरी लेकर आया है और सुन लेना तुम”
नानी ख़ुशी से बोल ही नहीं पा रही थीं उन्होंने ननकू को गले लगाया।

“नाश्ता तैयार है..”- डॉली ने आवाज़ लगायी। नानी ननकू को गोद में उठाकर अंदर ले चलीं। बाहर से डॉली के बच्चे विक्की और विन्नी भी आते दिखे सबने मिलकर नाश्ता किया। ननकू डॉली और विन्नी के साथ खिलौने लेकर खेलने बैठ गया। माँ और नानी की बातें चल पड़ी, डॉली भी साथ में शामिल हो गयी।

(आज ननकू को दो नए दोस्त मिल गए…अरे नहीं..तीन दोस्त मिले एक प्यारा सा पौधा उसके साथ विक्की और विन्नी। विक्की और विन्नी के साथ ननकू की दोस्ती कैसी होगी ये तो बाद में पता चलेगा लेकिन अभी तो तीनों मज़े से खेल रहे हैं पर तीनों को दूध पीना पड़ा। दूध से ताक़त भी आ जाती है न…आप भी रोज़ दूध पीते होगे तभी तो इतने ताक़तवर हो। जब आप ननकू से मिलेंगे तो उसको ज़रूर बताना कि आप दूध पीते हैं, ननकू को दूध के ढेर सारे गुण पता है वो आपको बताएगा)

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