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ननकू के क़िस्से

ननकू और माँ गाड़ी में सवार नानी के घर की तरफ़ चले जा रहे थे। ननकू बड़ी- बड़ी आँखें करके रास्ता देख रहा था। रास्ता था भी इतना प्यारा दोनों ओर बड़े-बड़े पेड़ लगे थे कई पेड़ों की टहनियाँ सड़क की ओर झुकी हुई थी और दोनों ओर से मिलकर गेट की तरह ऊपर से गोल आकार में आ गयी थी इसी के बीच से गाड़ियाँ निकल रही थी। ननकू को तो रास्ता देखते ही मज़ा आ रहा था और माँ आसपास आते-जाते जान पहचान के लोगों से गाड़ी में सवार ही नमस्ते किए जा रही थी।

“माँ..वो देखो पहाड़…बिलकुल उस कहानी के जैसा है”- ननकू ख़ुशी और आश्चर्य से चिल्ला ही उठा फिर अगले ही पल कुछ सोचते हुए बोला- “पर ये तो गोल्डन है..कहानी वाला ग्रे था”

माँ ने मुस्कुराकर ननकू को पुचकारकर बोलीं- “अरे बाबा..ये भी ग्रे ही है, अभी सूरज डूब रहा है न इसलिए ये गोल्डन है..सुबह-सुबह तो रेड दिखेगा..समझे?”

तभी नानी का फ़ोन आ गया और माँ उनको बताने लगी कि वो लोग रास्ते में ही हैं। नानी से बात करते हुए माँ ने ननकू को थपका पहाड़ देखता ननकू जब माँ को देखा तो माँ ने एक ओर इशारा किया..उस ओर देखते ही ननकू के चेहरे पर मुस्कान खेल गयी…

“आम का पेड़..?”- ननकू ने पूछा..माँ ने न में इशारा किया और एक बार नानी से बात को रोककर ननकू का मुँह आम के पेड़ से ज़रा सा दायीं ओर घुमाया..ननकू का मुँह खुला का खुला रह गया- “नदी…?”- माँ मुस्कुरा उठीं।

माँ और ननकू नानी के घर पहुँच गए थे अंदर घुसने से पहले ही दौड़ते हुए एक महिला आयी और ननकू की मम्मी के गले लग गयीं और ननकू के गालों को प्यार से सहलाती हुई बोली- “सुमन दीदी…माँ जी तो कब से आपकी राह देख रहे हैं..अच्छा हुआ आप आ गए नहीं तो माँ जी पूरे गाँव का खाना बनवा लेतीं…बाबू कितना प्यारा है” – उसकी बात सुनकर ननकू की माँ भी खिलखिलाकर सामान उठाने लगीं तो उस महिला ने झट से उनके हाथ से सामान छीन लिया- “अब हमारे होते आप काम करेंगी..?”

सामान छोड़कर ननकू को लेकर माँ अंदर चलीं..नानी आँगन में ही खड़ी थीं। माँ नानी के गले लग गयीं..ननकू ने देखा कि नानी माँ को ऐसे ही प्यार से गले लगा लीं जैसे माँ उसको गले लगा लेती हैं। पर ननकू को उस समय रोना आ गया क्योंकि माँ तो नानी के गले लगी थीं पर उसको गले नहीं लगाया। माँ ने पलटकर ननकू को देखा और उसे अपने पास लेकर उसे भी गले से लगा लिया। ननकू को अब अच्छा लगने लगा।

“सुमन, तेरी पसंद का सब मँगवाया है..और ननकू के लिए आइसक्रीम भी है”- नानी ने नाश्ता खाते ननकू को देखकर कहा

“आप माँ को सुमन क्यों बोल रहे हैं? ये तो माँ है न..दादी माँ को लता कहती हैं”

नानी और माँ ननकू की बात सुनकर हँसने लगे, नानी बोलीं – “जैसे ये तेरी माँ है..वैसे मैं इसकी माँ हूँ..तेरी माँ का नाम है सुमनलता..मेरी सुमन है और दादी की लता”

“तो मैं माँ का ननकू हूँ..तो आपका क्या हूँ?”- ननकू मुँह बनाता हुआ बोला

“तू मेरा लड्डू है..लड्डू बोलूँ तुझे?- नानी बोली

ननकू उदास सा मुँह बनाता हुआ बोला- “लड्डू को तो खा जाते हैं..”

माँ और नानी ननकू की ये बात सुनकर ज़ोर से हँस पड़े। ननकू को नानी ने प्यार से गोद में ले लिया और प्यार से गाल सहलाती हुई बोलीं “नहीं बाबा..तुझे कोई नहीं खाएगा..तू मेरा भी ननकू ही है..ठीक है?”
ननकू ख़ुश हो गया। तभी दादी का फ़ोन आया और माँ ने बात करके ननकू को फ़ोन थमा दिया, बस ननकू शुरू हो गया रास्ते भर की बात दादी को बताने लगा। माँ और नानी अपनी बातों में लग गए।

(आख़िर ननकू को आज पता चला कि माँ का नाम माँ नहीं बल्कि सुमनलता है और अब वो नानी के घर पहुँच चुका है। आज तो रात हो गयी लेकिन कल सुबह होते ही ननकू रुकने वाला नहीं है वो तो निकल पड़ेगा आसपास कि सैर को..और वो नदी और पहाड़, क्या वहाँ ननकू जाएगा? अब ये तो माँ बता सकती हैं। अगर माँ ने हाँ कहा तो ननकू आपको भी साथ ज़रूर ले जाएगा)

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