जैसे ही राखी बुआ और रॉकी चाचा के साथ ननकू, रसगुल्ला और चीकू अस्पताल पहुँचे कि ननकू तो आँखें बड़ी-बड़ी करके इधर- उधर देखने लगा नज़ारा ही ऐसा था। आसपास गाय, भैंस, बकरी का इलाज चल रहा था। ननकू तो बस उन्हें देखा ही जा रहा था कि इलाज करवाती गाय ज़ोर से रंभायी..ननकू ही नहीं चीकू और रसगुल्ला भी डर गए। ननकू ने राखी बुआ का हाथ पकड़ लिया चीकू और रसगुल्ला रॉकी चाचा और राखी बुआ की गोद में और दुबक गए। अब तो ननकू को डर लगने लगा था कि रसगुल्ला का क्या होगा। जब रॉकी चाचा और राखी बुआ उन्हें साथ लिए अंदर की ओर चले वहाँ एक लम्बा सा बेंच था उस पर बैठ गए।
“राखी बुआ..रसगुल्ला को यहाँ से ले चलो न..आप उसको घर में पट्टी बाँध देना..” ननकू धीरे से बोला
“पर इसको चोट लगी है ननकू..डॉक्टर को दिखाना पड़ेगा”- राखी बुआ समझाते हुए बोलीं
“रॉकी चाचा यहाँ तो गाय भी चिल्ला रही है..रसगुल्ला तो कितना छोटा है”- ननकू रॉकी चाचा से बोला
ननकू की बात पर हामी भरते हुए रॉकी चाचा की गोद में दुबका चीकू भी भौंका। रॉकी चाचा ने इशारे से ननकू को बैठे रहने के लिए कहा। ननकू ने धीरे से रसगुल्ला को सहलाया अब तो उसे रसगुल्ला की चिंता होने लगी थी, उसे ही नहीं चीकू को भी रसगुल्ला की फ़िक्र होने लगी थी।
इसी समय अंदर से ज़ोर की भौंकने की आवाज़ आयी। ननकू और चीकू ने एक-दूसरे को देखा और डर के उस कमरे की ओर देखने लगे। तभी वहाँ से नर्स जैसी कोई सामने से निकलीं उनके हाथ में बड़ा सा इंजेक्शन था, वो ननकू को देखकर मुस्कुरायी..इंजेक्शन देखकर ननकू और चीकू के होश उड़ गए। चीकू डरकर रॉकी चाचा की गोद में और दुबक गया। ननकू कुछ कहने के लिए राखी बुआ की ओर मुड़ा कि अंदर से एक आदमी ने आकर आवाज़ दी-
“नेक्स्ट..आप लोग जाइए”
राखी बुआ रसगुल्ला को गोद में लेकर उठीं और अंदर की ओर बढ़ चलीं, ननकू डर तो रहा था लेकिन वो रसगुल्ला को अकेले कैसे जाने देता तो वो भी राखी बुआ के पीछे उस कमरे की ओर बढ़ा। राखी बुआ ने रॉकी चाचा को चीकू के साथ बाहर रहने के लिए कहा। जब ननकू और राखी बुआ अंदर पहुँचे तो वहाँ पापा की उम्र के एक डॉक्टर साहब खड़े थे उन्होंने पूछा- “पेशेंट..?”
राखी बुआ ने रसगुल्ला को दिखाया, डॉक्टर साहब ने कहा- “यहाँ लिटाइए”
राखी बुआ ने जैसे ही वहाँ मेज़ पर रसगुल्ला को लिटाया..डॉक्टर साहब आगे आए..वो रसगुल्ला को छूने ही वाले थे कि ननकू झट से सामने आया और बोला- “आप मेरे रसगुल्ला को सुई नहीं लगाना..उसको कुछ भी नहीं हुआ है..थोड़ी सी लगी है बस..सुई नहीं लगाना..वो कित्ता छोटा सा है”
ये बोलते-बोलते ननकू थोड़ा रुआँसा हो गया राखी बुआ ने प्यार से उसे ख़ुद से लिपटा लिया और गोद में लेकर पुचकारने लगीं। रसगुल्ला भी छोटी-छोटी आँखें खोलकर ननकू को देखने लगा पर वो भी डरा हुआ था।
डॉक्टर साहब को देखकर राखी बुआ बोलीं- “इसका लाडला है रसगुल्ला..रात में सीढ़ी से गिर गया था..चोट लगी है..आप देखिए”
डॉक्टर साहब ने ननकू से कहा- “अच्छा तो इसका नाम रसगुल्ला है..बड़ा प्यारा नाम है..और आपका नाम क्या है?”
“ननकू..” ननकू बोला
“आपका नाम भी प्यारा है..”- डॉक्टर बोले
“बाहर में चीकू भी है रॉकी चाचा के साथ..उसको डर लगेगा इसलिए अंदर नहीं लाए”- ननकू एक साँस में बोला
“आपको डर नहीं लगता..?”- डॉक्टर साहब पूछे
“थोड़ा-थोड़ा लग रहा है..वो आंटी इत्ती बड़ी सुई लेकर गयी..रसगुल्ला जितनी बड़ी सुई थी..इसको नहीं लगाना”- ननकू तो बस रो ही देता कि राखी बुआ ने उसको ख़ुद से लिपटा लिया
“अरे भई..आपके रसगुल्ला को मैं सुई क्यों लगाउँगा..वो सुई तो बाहर गाय के लिए थी..अच्छा ये बताइए कि रसगुल्ला को चोट कैसे लगी?”- डॉक्टर साहब ने पूछा
राखी बुआ बताने को थी कि डॉक्टर ने उन्हें इशारे से चुप रहने कहा और ननकू डॉक्टर को सारी बात बताने लगा। डॉक्टर उसकी बात सुनते रहे वो रसगुल्ला की जाने कितनी बातें बताने लगा। अब ननकू का डर भी चला गया था..इसी बीच देर होती देख रॉकी चाचा भी चीकू के साथ अंदर आ गए।
चीकू ननकू को देखकर भौंका तो ननकू बोला- “वो रहा चीकू..आ जा चीकू..रसगुल्ला को सुई नहीं लगाएँगे”
रॉकी चाचा भी अंदर आ गए। अब तो ननकू रसगुल्ला के बाज़ू में ही बैठ गया था और डॉक्टर को ध्यान से देख रहा था। डॉक्टर ने रसगुल्ला के सामने के दाएँ पैर में बंधी पट्टी खोली रसगुल्ला धीरे से दर्द में कराहने लगा तो ननकू ने उसे प्यार किया। डॉक्टर ये देखकर मुस्कुराए..डॉक्टर ने जब रसगुल्ला का पैर इधर- उधर हिलाकर ध्यान से देखा तो रसगुल्ला दर्द से आँखें बंद करने लगा। चीकू ज़ोर से भौंका..ननकू ने उसे इशारे से चुप करवाया।
“तो भई आपके रसगुल्ला को थोड़ी सी चोट लगी है..सीढ़ी से गिरा होगा तो पैर छिल गया है..और ज़रा सी मोच आयी है..छोटा है न तो दर्द होता है इसको..तो मैं..”- डॉक्टर साहब बोल ही रहे थे कि ननकू बोल उठा
“सुई नहीं लगाना..”
“इसको नहीं लगाते..आपको लगा दें”- डॉक्टर साहब ने पूछा तो राखी बुआ और रॉकी चाचा मुस्कुरा उठे
“मुझे..?..चोट तो रसगुल्ला को लगी है”- ननकू बोला
“हाँ..ये छोटा है तो आप लगवा लीजिए..डॉक्टर हूँ किसी को तो सुई लगाउँगा ही”- डॉक्टर साहब गम्भीर होकर बोले
“मैं भी तो छोटा हूँ..रॉकी चाचा सबसे बड़े हैं..” ननकू धीरे से बोला तो सभी हँसने लगे
ननकू की बात सुनकर डॉक्टर साहब मुस्कुरा उठे और बोले- “देखो भाई ननकू..डॉक्टर हैं तो सुई लगाएँगे ही ऐसा नहीं है..हमें भी तो रसगुल्ला प्यारा लग रहा है..और इसको तो ज़्यादा चोट भी नहीं लगी है, इसलिए सुई नहीं लगाएँगे..बस थोड़ी सी दवाई देंगे और नयी पट्टी बाँध देते हैं..ठीक है न?”
“हाँ..रसगुल्ला कब कूदेगा..?”- ननकू ने पूछा
“दो दिन के बाद..पर अभी उछलकूद थोड़ी कम करना..जल्दी से ठीक हो जाएगा..फिर जितनी उछलकूद करनी है करना”- डॉक्टर साहब ने कहा
ननकू ख़ुश होकर चीकू को बताने लगा कि रसगुल्ला अब जल्दी ठीक हो जाएगा। डॉक्टर साहब ने रसगुल्ला की नयी पट्टी लगायी और दवा दे दी। रसगुल्का की राखी बुआ ने अपनी गोद में लिया। सब चलने को हुए कि ननकू बोला- “आप तो बहुत अच्छे हो..मेरे रसगुल्ला को ठीक कर दिए..थैंक यू”
डॉक्टर साहब ननकू की बात सुनकर मुस्कुरा उठे और बोले- “नहीं लगाया न सुई..?..अब तो नहीं डरोगे डॉक्टर से कभी भी?”
ननकू बोला- “बिलकुल भी नहीं..डॉक्टर तो कितने अच्छे होते हैं”
सब बाहर आ गए। रसगुल्ला अभी थोड़ी- थोड़ी आँखें खोलकर ननकू को देख रहा था। ननकू ने एक बार राखी बुआ से रसगुल्ला को माँगा और गोद में लेकर उसको ख़ूब सारा प्यार किया रसगुल्ला ख़ुशी से ननकू को चाटने लगा और सब ये देखकर मुस्कुराने लगे। रॉकी चाचा, राखी बुआ, ननकू, रसगुल्ला और चीकू वापस घर की तरफ़ चले। अस्पताल में घुसते ही जो गाय चिल्ला रही थी वो भी अब आराम से खड़ी होकर कुछ खा रही थी।
(तो भई रसगुल्ला की चोट हो जाएगी दो दिन में ठीक और फिर वो करेगा जमकर मस्ती..चोट तो लगी लेकिन इससे राखी बुआ का डर हो गया छूमंतर अब तो रसगुल्ला भी नीचे सो सकता है और जब रसगुल्ला छत पर नहीं जाएगा तो चीकू और ननकू जाएँगे?..बिलकुल भी नहीं..अब कैसे होगी इनके बीच मस्ती और रसगुल्ला कब कर पाएगा उछलकूद ये जानेंगे अगली कहानी में)