अभिषेक शुक्ला के बेहतरीन शेर…
Abhishek Shukla Shayari मक़ाम-ए-वस्ल तो अर्ज़-ओ-समा के बीच में है मैं इस ज़मीन से निकलूँ तू आसमाँ से निकल अभिषेक शुक्ला __ हर्फ़ लफ़्ज़ों की तरफ़ लफ़्ज़ मआ’नी की तरफ़ लौट आए सभी किरदार कहानी की तरफ़ अभिषेक शुक्ला ___ दिल वो दरिया है मिरे सीना-ए-ख़ाली में कि अब ध्यान जाता ही नहीं जिसकी रवानी … Read more