अख़बार शायरी
Akhbaar Shayari ~~ अख़बार में रोज़ाना वही शोर है यानी अपने से ये हालात सँवर क्यूँ नहीं जाते महबूब ख़िज़ां…
हिन्दी और उर्दू साहित्य का संगम
Akhbaar Shayari ~~ अख़बार में रोज़ाना वही शोर है यानी अपने से ये हालात सँवर क्यूँ नहीं जाते महबूब ख़िज़ां…