मजाज़ की ग़ज़लें

Manchanda Bani Majaz Shayari Majaz Ki Shayari

Majaz Ki Shayari ~ असरार उल हक़ ‘मज़ाज’ की कुछ ग़ज़लें यहाँ हम पेश कर रहे हैं। मुलाहिज़ा फ़रमाएँ – दिल-ए-ख़ूँ-गश्ता-ए-जफ़ा पे कहीं अब करम भी गराँ न हो जाए तेरे बीमार का ख़ुदा-हाफ़िज़ नज़्र-ए-चारा-गराँ न हो जाए इश्क़ क्या क्या न आफ़तें ढाए हुस्न गर मेहरबाँ न हो जाए मय के आगे ग़मों का … Read more

दो शा’इर, दो ग़ज़लें(2): मनचंदा बानी और मजाज़…

Manchanda Bani Majaz Shayari ~ आज हम जिन दो शा’इरों की ग़ज़लें आपके सामने पेश कर रहे हैं उनके नाम हैं राजिंदर मनचंदा ‘बानी’ और असरार उल हक़ ‘मजाज़’. राजिंदर मनचंदा ‘बानी’ की ग़ज़ल:  चली डगर पर कभी न चलने वाला मैं चली डगर पर कभी न चलने वाला मैं नए अनोखे मोड़ बदलने वाला मैं … Read more