दो शाइर, दो नज़्में(13): मजीद अमजद और अख़्तर-उल-ईमान
Majid Amjad Hindi Shayari मजीद अमजद की नज़्म “मंटो” मैंने उस को देखा है उजली उजली सड़कों पर इक गर्द भरी हैरानी में फैलती भीड़ के औंधे औंधे कटोरों की तुग़्यानी में जब वो ख़ाली बोतल फेंक के कहता है ”दुनिया! तेरा हुस्न, यही बद-सूरती है” दुनिया उसको घूरती है शोर-ए-सलासिल बन कर गूँजने लगता है … Read more