Majid Amjad Hindi Shayari मजीद अमजद की नज़्म “मंटो”
मैंने उस को देखा है
उजली उजली सड़कों पर इक गर्द भरी हैरानी में
फैलती भीड़ के औंधे औंधे कटोरों की तुग़्यानी में
जब वो ख़ाली बोतल फेंक के कहता है
”दुनिया! तेरा हुस्न, यही बद-सूरती है”
दुनिया उसको घूरती है
शोर-ए-सलासिल बन कर गूँजने लगता है
अँगारों भरी आँखों में ये तुंद सवाल
कौन है ये जिसने अपनी बहकी बहकी साँसों का जाल
बाम-ए-ज़माँ पर फेंका है
कौन है जो बल खाते ज़मीरों के पुर-पेच धुँदलकों में
रूहों के इफ़्रीत-कदों के ज़हर-अंदोज़ महलकों में
ले आया है यूँ बिन पूछे अपने आप
ऐनक के बर्फ़ीले शीशों से छनती नज़रों की चाप
कौन है ये गुस्ताख़
ताख़ तड़ाख़! Majid Amjad Hindi Shayari
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अख़्तर-उल-ईमान की नज़्म “तबदीली”
इस भरे शहर में कोई ऐसा नहीं
जो मुझे राह चलते को पहचान ले
और आवाज़ दे ओ बे ओ सर-फिरे
दोनों इक दूसरे से लिपट कर वहीं
गिर्द-ओ-पेश और माहौल को भूल कर
गालियाँ दें हँसें हाथा-पाई करें
पास के पेड़ की छाँव में बैठ कर
घंटों इक दूसरे की सुनें और कहें
और इस नेक रूहों के बाज़ार में
मेरी ये क़ीमती बे-बहा ज़िंदगी
एक दिन के लिए अपना रुख़ मोड़ ले