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Mother Shayari

Mother Shayari

किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकाँ आई
मैं घर में सब से छोटा था मिरे हिस्से में माँ आई

मुनव्वर राना

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दिन भर की मशक़्क़त से बदन चूर है लेकिन
माँ ने मुझे देखा तो थकन भूल गई है

मुनव्वर राना

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अभी ज़िंदा है माँ मेरी मुझे कुछ भी नहीं होगा
मैं घर से जब निकलता हूँ दुआ भी साथ चलती है

मुनव्वर राना

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माँ बाप और उस्ताद सब हैं ख़ुदा की रहमत
है रोक-टोक उनकी हक़ में तुम्हारे ने’मत

अल्ताफ़ हुसैन हाली

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चलती फिरती हुई आँखों से अज़ाँ देखी है
मैंने जन्नत तो नहीं देखी है माँ देखी है

मुनव्वर राना

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तेरे दामन में सितारे हैं तो होंगे ऐ फ़लक
मुझको अपनी माँ की मैली ओढ़नी अच्छी लगी

मुनव्वर राना

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इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है
माँ बहुत ग़ुस्से में होती है तो रो देती है

मुनव्वर राना

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जब भी कश्ती मिरी सैलाब में आ जाती है
माँ दुआ करती हुई ख़्वाब में आ जाती है

मुनव्वर राना

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बच्चे फ़रेब खा के चटाई पे सो गए
इक माँ उबालती रही पथर तमाम रात

अब्दुल माजिद नश्तर जबलपुरी

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मुनव्वर माँ के आगे यूँ कभी खुल कर नहीं रोना
जहाँ बुनियाद हो इतनी नमी अच्छी नहीं होती

मुनव्वर राना

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माँ की आग़ोश में कल मौत की आग़ोश में आज
हमको दुनिया में ये दो वक़्त सुहाने से मिले

कैफ़ भोपाली

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दुआ को हाथ उठाते हुए लरज़ता हूँ
कभी दुआ नहीं माँगी थी माँ के होते हुए

इफ़्तिख़ार आरिफ़

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मुद्दतों ब’अद मयस्सर हुआ माँ का आँचल
मुद्दतों ब’अद हमें नींद सुहानी आई

इक़बाल अशहर

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एक मुद्दत से मिरी माँ नहीं सोई ‘ताबिश’
मैंने इक बार कहा था मुझे डर लगता है

अब्बास ताबिश

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घर लौट के रोएँगे माँ बाप अकेले में
मिट्टी के खिलौने भी सस्ते न थे मेले में

क़ैसर-उल जाफ़री

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कल अपने-आपको देखा था माँ की आँखों में
ये आईना हमें बूढ़ा नहीं बताता है

मुनव्वर राना

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बर्बाद कर दिया हमें परदेस ने मगर
माँ सब से कह रही है कि बेटा मज़े में है

मुनव्वर राना

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किताबों से निकल कर तितलियाँ ग़ज़लें सुनाती हैं
टिफ़िन रखती है मेरी माँ तो बस्ता मुस्कुराता है

सिराज फ़ैसल ख़ान

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शहर में आ कर पढ़ने वाले भूल गए
किसकी माँ ने कितना ज़ेवर बेचा था

असलम कोलसरी

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शहर के रस्ते हों चाहे गाँव की पगडंडियाँ
माँ की उँगली थाम कर चलना बहुत अच्छा लगा

मुनव्वर राना

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माँ ख़्वाब में आ कर ये बता जाती है हर रोज़
बोसीदा सी ओढ़ी हुई इस शाल में हम हैं

मुनव्वर राना

Mother Shayari

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