Best Diwali Shayari ~ सभी के दीप सुंदर हैं हमारे क्या तुम्हारे क्या
उजाला हर तरफ़ है इस किनारे उस किनारे क्या
हफ़ीज़ बनारसी
अहमद फ़राज़ के बेहतरीन शेर…
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राहों में जान घर में चराग़ों से शान है
दीपावली से आज ज़मीन आसमान है
ओबैद आज़म आज़मी
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खिड़कियों से झाँकती है रौशनी
बत्तियाँ जलती हैं घर घर रात में
मोहम्मद अल्वी
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है दसहरे में भी यूँ गर फ़रहत-ओ-ज़ीनत ‘नज़ीर’
पर दिवाली भी अजब पाकीज़ा-तर त्यौहार है
नज़ीर अकबराबादी
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हुस्न पर शायरी
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***नज़्में***
नज़ीर अकबराबादी की नज़्म – दीवाली
हर इक मकाँ में जला फिर दिया दिवाली का
हर इक तरफ़ को उजाला हुआ दिवाली का
सभी के दिल में समाँ भा गया दिवाली का
किसी के दिल को मज़ा ख़ुश लगा दिवाली का
अजब बहार का है दिन बना दिवाली का
जहाँ में यारो अजब तरह का है ये त्यौहार
किसी ने नक़्द लिया और कोई करे है उधार
खिलौने खेलों बताशों का गर्म है बाज़ार
हर इक दुकाँ में चराग़ों की हो रही है बहार
सभों को फ़िक्र है अब जा-ब-जा दिवाली का
मिठाइयों की दुकानें लगा के हलवाई
पुकारते हैं कि लाला दिवाली है आई
बताशे ले कोई बर्फ़ी किसी ने तुलवाई
खिलौने वालों की उन से ज़ियादा बन आई
गोया उन्हों के वाँ राज आ गया दिवाली का
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Best Diwali Shayari
हैदर बयाबानी की नज़्म – दीवाली
दीवाली के दीप जले हैं
यार से मिलने यार चले हैं
चारों जानिब धूम-धड़ाका
छोटे रॉकेट और पटाख़ा
घर में फुल-झड़ियाँ छूटे
मन ही मन में लड्डू फूटे
दीप जले हैं घर आँगन में
उजयारा हो जाए मन में
अपनों की तो बात अलग है
आज तो सारे ग़ैर भले हैं
दीवाली के दीप जले हैं
राम की जय-जय-कार हुई है
रावन की जो हार हुई है
सच्चे का हर बोल है बाला
झूटे का मुँह होगा काला
सच्चाई का डंका बाजे
सच के सर पर सहरा साजे
झूट की लंका ख़ाक बना के
राम अयोध्या लौट चले हैं
दीवाली के दीप जले हैं
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई
मिल कर खाएँ यार मिठाई
भूल के शिकवे और गिले सब
हँसते गाते आज मिले सब
कहने को हर धर्म जुदा है
लेकिन सब का एक ख़ुदा है
इक माटी के पुतले ‘हैदर’
इस साँचे में ख़ूब ढले हैं
दीवाली के दीप जले हैं
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नज़ीर बनारसी की नज़्म – दीवाली
घुट गया अँधेरे का आज दम अकेले में
हर नज़र टहलती है रौशनी के मेले में
आज ढूँढने पर भी मिल सकी न तारीकी
मौत खो गई शायद ज़िंदगी के रेले में
इस तरह से हँसती हैं आज दीप-मालाएँ
शोख़ियाँ करें जैसे साथ मिल के बालाएँ
हर गली नई दुल्हन हर सड़क हसीना है
हर देहात अँगूठी है हर नगर नगीना है
पड़ गई है ख़तरे में आज यम की यमराजी
मौत के भी माथे पर मौत का पसीना है
रात के करूँ मैं है आज रात का कंगन
इक सुहागनी बन कर छाई जाती है जोगन
क़ुमक़ुमे जले घर घर रौशनी है पट पट पर
ले के कोई मंगल-घट छा गया है घट घट पर
रौशनी करो लेकिन फ़र्ज़ पर न आँच आए
हो निगाह सीमा पर और कान आहट पर
होशियार उन से भी जो निगाह फेरे हैं
पाक ही नहीं तन्हा और भी लुटेरे हैं
छोड़ अपनी नापाकी या बदल दे अपनी धुन
मौत लेगा या जीवन दो में जिस को चाहे चुन
हम हैं कृष्ण की लीला हम हैं वीर भारत के
हम नकुल हैं हम सहदेव हम हैं भीम हम अर्जुन
द्रोपदी से दुर्घटना दूर कर के छोड़ेंगे
ऐ समय के दुर्योधन चूर कर के छोड़ेंगे
क़ब्र हो समाधी हो सब को जगमगाएँगे
धूम से शहीदों का सोग हम मनाएँगे
तुमसे काम लेना है हम को दीप-मालाओ
सारे दीप की लौ से दिल की लौ बढ़ाएँगे
सब से गर्मियाँ ले कर सीने में छुपाना है
दिल को इस दिवाली से अग्नी बम बनाना है
Best Diwali Shayari
राहत इन्दौरी के बेहतरीन शेर
जोश मलीहाबादी के बेहतरीन शेर..