चोरी – गीत चतुर्वेदी
प्रेम इस तरह किया जाए कि प्रेम शब्द का कभी ज़िक्र तक न हो चूमा इस तरह जाए कि होंठ हमेशा ग़फ़लत में रहें तुमने चूमा या मेरे ही निचले होंठ ने औचक ऊपरी को छू लिया छुआ इस तरह जाए कि मीलों दूर तुम्हारी त्वचा पर हरे-हरे सपने उग आएँ तुम्हारी देह के छज्जे … Read more