दो शा’इर, दो ग़ज़लें(7): जाँ निसार अख़्तर और महशर बदायूँनी…
Aahat Si Koi Aaye To Lagta Hai Ke Tum Ho जाँ निसार अख़्तर की ग़ज़ल: आहट सी कोई आए तो लगता है कि तुम हो, आहट सी कोई आए तो लगता है कि तुम हो, साया कोई लहराए तो लगता है कि तुम हो जब शाख़ कोई हाथ लगाते ही चमन में, शरमाए लचक जाए … Read more