“मैं गंगा प्रसाद की औरत हूँ”

Main Ganga Prasaad Ki Aurat Hoon लेखक- अरग़वान रब्बही रोज़ की तरह अपने दफ़्तर की तरफ़ जाते 8 सीट वाले विक्रम ऑटो में मनोज जैसे ही बैठा उसकी नज़र सामने की सीट पर बैठी एक पर्दानशीं औरत पर पड़ी, लाल साड़ी में लिपटी अधेड़ उम्र की औरत का घूँघट उसकी कमर तक था और उसकी … Read more