घर पर शायरी
Ghar Shayari : उग रहा है दर-ओ-दीवार से सब्ज़ा ‘ग़ालिब’ हम बयाबाँ में हैं और घर में बहार आई है मिर्ज़ा ग़ालिब ____ पुराने मुहल्ले का सुनसान आँगन मुझे पा के था कितना हैरान आँगन इशरत आफ़रीं _____ घर की वहशत से लरज़ता हूँ मगर जाने क्यूँ शाम होती है तो घर जाने को जी … Read more