शाम पर शेर

Best Urdu Rubai Shaam Shayari Har Haqeeqat Majaz Ho Jaye Tagore ki Kahani Bhikharin Parveen Shakir Shayari

Shaam Shayari शाम होते ही खुली सड़कों की याद आती है सोचता रोज़ हूँ मैं घर से नहीं निकलूँगा शहरयार (Shaharyar) _____ उसकी आँखों में उतर जाने को जी चाहता है शाम होती है तो घर जाने को जी चाहता है कफ़ील आज़र अमरोहवी (Kafeel Aazar Amrohvi) ______ घर की वहशत से लरज़ता हूँ मगर … Read more