शाम पर शेर
Shaam Shayari शाम होते ही खुली सड़कों की याद आती है सोचता रोज़ हूँ मैं घर से नहीं निकलूँगा शहरयार (Shaharyar) _____ उसकी आँखों में उतर जाने को जी चाहता है शाम होती है तो घर जाने को जी चाहता है कफ़ील आज़र अमरोहवी (Kafeel Aazar Amrohvi) ______ घर की वहशत से लरज़ता हूँ मगर … Read more