सज़ा – जौन एलिया
Saza Jaun Elia हर बार मेरे सामने आती रही हो तुम हर बार तुमसे मिल के बिछड़ता रहा हूँ मैं…
हिन्दी और उर्दू साहित्य का संगम
Saza Jaun Elia हर बार मेरे सामने आती रही हो तुम हर बार तुमसे मिल के बिछड़ता रहा हूँ मैं…
Khushbu Shayari वो तो ख़ुशबू है हवाओं में बिखर जाएगा मसअला फूल का है फूल किधर जाएगा परवीन शाकिर _____…
Urdu Shayari Tree ~ वो जिसकी छाँव में पच्चीस साल गुज़रे हैं वो पेड़ मुझ से कोई बात क्यूँ नहीं…
Mushafi Shayari ~ शेख़ ग़ुलाम हमदानी ‘मुसहफ़ी’- सन 1750 में मुरादाबाद ज़िले के पास अमरोहा के अकबरपुर गाँव में इनका…