fbpx
Javed ya Zaved असग़र गोंडवी अल्लामा इक़बाल Mohabbat Shayari Nazm Mohabbat Shayari Nazm हिन्दी व्याकरण ए और ऐ Urdu Shayari Meter Zehra Nigah Shayari Best Urdu Shayari Abdul Hamid Adam Shayari wazeer aagha ghazal aise Usne Kaha Tha Hindi Ki Pahli Kahani Satyajeet Ray Ki Kahani Sahpathi Urdu Shayari Treeसाहित्य दुनिया www.sahityaduniya.com

Urdu Shayari Tree ~

वो जिसकी छाँव में पच्चीस साल गुज़रे हैं
वो पेड़ मुझ से कोई बात क्यूँ नहीं करता

तहज़ीब हाफ़ी
___

पेड़ मुझे हसरत से देखा करते थे
मैं जंगल में पानी लाया करता था

तहज़ीब हाफ़ी

____

सो गए पेड़ जाग उठी ख़ुश्बू
ज़िंदगी ख़्वाब क्यूँ दिखाती है

जौन एलिया
___

मिरे बच्चों को अल्लाह रखे इन ताज़ा हवा के झोंकों ने
मैं ख़ुश्क पेड़ ख़िज़ाँ का था मुझे कैसा बर्ग-ओ-बार दिया

उबैदुल्लाह अलीम

____

देख मे’मार परिंदे भी रहें घर भी बने
नक़्शा ऐसा हो कोई पेड़ गिराना न पड़े

उमैर नजमी

_____

पेड़ पर पक गया है फल शायद
फिर से पत्थर उछालता है कोई

गुलज़ार
____

यूँ नहीं है कि फ़क़त मैं ही उसे चाहता हूँ
जो भी उस पेड़ की छाँव में गया बैठ गया

तहज़ीब हाफ़ी

_____

एक फलदार पेड़ हूँ लेकिन
वक़्त आने पे बे-समर भी हूँ

तहज़ीब हाफ़ी

____

ये ख़िज़ाँ की ज़र्द सी शाल में जो उदास पेड़ के पास है
ये तुम्हारे घर की बहार है उसे आँसुओं से हरा करो

बशीर बद्र

______

पेड़ की छाल से रगड़ खा कर
वो तने से फिसल रही होगी

जौन एलिया

_____

पेड़ के काटने वालों को ये मालूम तो था
जिस्म जल जाएँगे जब सर पे न साया होगा

कैफ़ी आज़मी

____

एक ये दिन जब अपनों ने भी हम से नाता तोड़ लिया
एक वो दिन जब पेड़ की शाख़ें बोझ हमारा सहती थीं

जावेद अख़्तर

____

राहगीरों ने रह बदलनी है
पेड़ अपनी जगह खड़े रहे हैं

तहज़ीब हाफ़ी

____

कौन हमारी प्यास पे डाका डाल गया
किस ने मश्कीज़ों के तस्मे खोले हैं

तहज़ीब हाफ़ी

____

न जाने कितने परिंदों ने इसमें शिरकत की
कल एक पेड़ की तक़रीब-ए-रू-नुमाई थी

तहज़ीब हाफ़ी

____

मुद्दत से मेरी आँख में इक ख़्वाब है मुक़ीम
पानी में पेड़ पेड़ की छाँव में रेत है

तहज़ीब हाफ़ी

____

आ के पत्थर तो मिरे सहन में दो चार गिरे
जितने उस पेड़ के फल थे पस-ए-दीवार गिरे

शकेब जलाली

___

लगाकर पेड़ हम भूले थे शायद,
शजर के आम बन्दर खा गया है

अरग़वान रब्बही
_____

नीम का पेड़ था गिलहरी का,
कट गया घर गया गिलहरी का

अरग़वान रब्बही
_____

ख़ुदा करे वो पेड़ ख़ैरियत से हो
कई दिनों से उस का राब्ता नहीं

तहज़ीब हाफ़ी

Urdu Shayari Tree

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *