एक ज़मीन, दो ग़ज़लें (1): मख़दूम और फ़ैज़..

Subah Shayari Ghazal Zameen Shayari

साहित्य दुनिया की आज हम एक और सीरीज़ शुरू’अ कर रहे हैं, “एक ज़मीन दो ग़ज़लें”. Ghazal Zameen Shayari इस सीरीज़ में हम एक ही ज़मीन में कही गयीं दो ग़ज़लें आपके सामने पेश करेंगे (हालाँकि एक ज़मीन में कई ग़ज़लें हो सकती हैं). इस सीरीज़ की पहली क़िश्त में हम “मख़दूम मुहीउद्दीन और फ़ैज़ … Read more