छुट्टियाँ ख़त्म हो चुकी हैं और अब ननकू को तैयारी करनी है स्कूल जाने की। ननकू ने तो अपनी पढ़ाई-लिखाई थोड़ी बहुत शुरू भी कर दी है, ननकू को पढ़ाई में लगा देख चीकू शांति से दादी के पास बैठ जाता तो रसगुल्ला ननकू के पास बैठकर उसकी किसी तरह की मदद करता रहता। हालाँकि ये मदद तो न ही होती लेकिन रसगुल्ला फिर भी अपनी कोशिश जारी रखता…
ननकू गणित के पहाड़े रीवाइज़ कर ही रहा था कि वो 7 का पहाड़ा भूल गया…
“सात तिया…सात तिया..!” रसगुल्ला उठ कर बैठ गया और ननकू की ओर देखने लगा। रसगुल्ला ने भौंक कर ननकू को कुछ समझाने की कोशिश की…
“नहीं न …किताब में नहीं देख सकते”- रसगुल्ला चुपचाप फिर बैठ गया..
“अरे यार…याद ही नहीं आ रहा”
रसगुल्ला ने उसे थोड़ा इतरा कर देखा…
“नहीं देखना होता किताब”, ननकू ने रसगुल्ला को फिर समझाया ..
रसगुल्ला चुपचाप लेट गया और सोने का नाटक करने लगा…
“क्या हुआ ननकू?”, माँ ने कमरे में दाख़िल होते हुए थोड़ा सा परेशान ननकू से पूछा…
“कुछ नहीं माँ…”
इतना कहना ही था कि रसगुल्ला भौंक पड़ा…और जल्दी से भाग कर माँ की गोद में जा पहुँचा..
“अच्छा, ननकू अपने सबक़ में कहीं फँस गया है”, माँ ने रसगुल्ला को सहलाते हुए कहा। पीछे से चीकू भी आ गया पर उसने तो ऐसे रियेक्ट किया मानो ननकू रोज़ ही सबक़ भूल जाता है।
“माँ वो 7 का पहाड़ा भूल गया मैं”
“अरे..तो किताब में देख कर याद कर लो”
इतना सुनते ही रसगुल्ला में मानो अलग सी जान आ गई, उसने बार-बार ये जताया कि ये आईडिया तो पहले ही वो ननकू को दे चुका है…माँ ननकू के पास जाकर बैठीं और उसके सर पर हाथ रख कर कहा,
“अरे ये चोरी थोड़े हुई, याद करने के लिए कर सकते हैं..”
रसगुल्ला भी झट से माँ की गोद से उतरकर ननकू की किताब के साइड बैठ गया…उसने ननकू को इशारे से कहा कि किताब खोल लो…चीकू ने भी भौंक कर ननकू को कहा कि रसगुल्ला और माँ सही कह रहे हैं…ननकू ने किताब खोल ली और पहाड़ा याद करना शुरू कर दिया। माँ सबके लिए खाने का लेकर आयीं और रसगुल्ला चुप से ननकू को सुनने लगा और कहीं ननकू कुछ ग़लत पढ़ता तो उसे एहसास भी हो जाता और वो भौंकने लगता है।