(Urdu Shayari Mein prayog hone wale shabd) हम अक्सर उर्दू शाइरी में मिरे, तिरे, दिवाने, इक, ख़मोशी इत्यादि शब्दों का इस्तेमाल करते हैं. जिन शब्दों का हम ज़िक्र कर रहे हैं अगर उनको हम समझें तो आमतौर पर इन शब्दों की जगह क्रमशः मेरे, तेरे, दीवाने, एक,ख़ामोशी इस्तेमाल में लाये जाते हैं. आप लोगों को बिलकुल परेशान होने की ज़रुरत नहीं है, जो आप बोलते हैं वो ग़लत बिलकुल नहीं हैं. असल में दोनों ही सही हैं मेरे भी और मिरे भी, तेरे भी और तिरे भी.. इसी तरह बाक़ी भी और अगर बात उर्दू शाइरी की करें तो ये सभी इस्तेमाल में आते ही हैं. हम लेकिन आपको बताना चाहेंगे कि ऐसा क्यूँ है कि कई बार शाइरी में मिरे तो कई बार मेरे का इस्तेमाल होता है. असल में ग़ज़ल कहते समय जो सबसे अहम् चीज़ है वो है बह्र और शेर का वज़्न में होना. कई बार ऐसा होता है कि वज़्न की वजह से मिरे या मेरे का इस्तेमाल करना पड़ता है. असल में मिरे का वज़्न 12 (या 11) है, जबकि मेरे का 22 (या 21).
एक शेर देखिये-
नज़र मिला के मिरे पास आ के लूट लिया,
नज़र हटी थी कि फिर मुस्कुरा के लूट लिया (जिगर मुरादाबादी)
जिगर के इस मतले को ग़ौर से देखें तो इसके पहले मिसरे में “मिरे” का इस्तेमाल हुआ है. अगर इस शेर की तक़ती’अ करें-
न-1, ज़र-2, मि-1, ला-2, के-1, मि-1, रे-2, पा-2, स-1, आ-2, के-1, लू-2, ट-1, लि-1, या-2
न-1, ज़र-2, ह-1, टी-2, थी-1, कि-1, फिर-2, मुस्-2,कु-1, रा-2, के-1, लू-2,ट-1, लि-1, या-2
इससे समझा जा सकता है कि अगर शेर के पहले मिसरे में “मेरे” का इस्तेमाल होता तो शेर बेवज़्नी हो जाता क्यूँकि यहाँ 21 वज़्न की दरकार है जबकि मेरे का वज़्न 22 होगा.
इसी तरह से हम बाक़ी को देखें, सामने वज़्न लिखे गए हैं.
तेरे- 22 (21 भी लिया जा सकता है)
तिरे- 12 (11 भी लिया जा सकता है)
दीवाने- 222 (221 भी लिया जा सकता है)
दिवाने- 122 (121 भी लिया जा सकता है)
एक- 21
इक- 2
ख़ामोशी- 222 (221 भी लिया जा सकता है)
ख़मोशी- 122(121 भी लिया जा सकता है)
ख़ामशी- 212(211 भी लिया जा सकता है)
{नोट- ख़ामोशी, ख़मोशी, ख़ामशी तीनों सही हैं और तीनों का अर्थ सामान है}
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