Urdu Shayari Phool फूल (پھول):: फूल (अर्थ- flower) एक ऐसा लफ़्ज़ है जिसे आजकल की पीढ़ी फ़ूल (Fool) बोलने लगी है जबकि इसमें फ के नीचे कोई बिंदी नहीं लगी है, इस वजह से इसे Ph (प के साथ ह की आवाज़ रहेगी एकमुश्त) की आवाज़ में लिया जाएगा और फूल(Phool) पढ़ा जाएगा.उर्दू शा’इरी में फूल का वज़्न 21 लिया जाएगा. (फू-2,ल-1)
शकील बदायूँनी का शे’र-
“काँटों से गुज़र जाता हूँ दामन को बचा कर
फूलों की सियासत से मैं बेगाना नहीं हूँ” Urdu Shayari Phool
फिर (پھر) : फिर (अर्थ- बाद,उसके बाद) शब्द को भी लोग “फ़िर” बोलते नज़र आते हैं. ये सबसे पोपुलर शब्दों में से एक है लेकिन इसे अक्सर करके ग़लत ढंग से बोला जाता है. लोग इसे फ़िर (FIR) बोलते हैं जबकि सही है प आवाज़ में ह को मिलाने के बाद र जोड़ा गया है (PHIR). समझने की बात ये है कि इसमें फ के नीचे किसी प्रकार का कोई नुक़ता नहीं है. फिर का वज़्न 2 लिया जाएगा. (फिर-2)
मिर्ज़ा ग़ालिब का शे’र-
“फिर उसी बेवफ़ा पे मरते हैं
फिर वही ज़िंदगी हमारी है”
सरफिरा(سرپھرا) या सिरफिरा: सरफिरा (जिसका सर फिर गया हो,सनकी,पागल) शब्द के साथ भी वही समस्या है, लोग इसे “सरफ़िरा” पढ़ जाते हैं जबकि “सरफिरा” में कहीं से भी कोई नुक़ता फ के नीचे नहीं है. इसका वज़्न 212 होगा. (सर-2,फि-1, रा-2)
यास यगाना चंगेज़ी का शे’र-
“सब तिरे सिवा काफ़िर आख़िर इस का मतलब क्या
सरफिरा दे इंसाँ का ऐसा ख़ब्त-ए-मज़हब क्या”
(ख़ब्त-ए-मज़हब: बेकार का धर्म)
इसी तरह से “सरफिरी” भी लिया जाएगा. इसका वज़्न 212 होगा. (सर-2,फि-1, री-2)
शकेब जलाली का शे’र-
“ना इतनी तेज़ चले सर-फिरी हवा से कहो
शजर पे एक ही पत्ता दिखाई देता है”