Status Shayari
बिगड़े न बात-बात पर क्यूँ जानते हैं वो,
हम वो नहीं कि जिसको मनाया ना जाएगा
(हाली)
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मैं उसको हर रोज़ बस यही एक झूठ सुनने को फ़ोन करता
सुनो यहाँ कोई मसअला है तुम्हारी आवाज़ कट रही है
(तहज़ीब हाफ़ी)
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मैं कि काग़ज़ की एक कश्ती हूँ
पहली बारिश ही आख़िरी है मुझे
(तहज़ीब हाफ़ी)
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बोझ जो सर से गिरा है कि उठाए न उठे,
काम वह आन पड़ा है कि बनाए ना बने
ग़ालिब
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वह नहीं भूलता जहाँ जाऊँ,
हाय मैं क्या करूँ कहाँ जाऊँ
(नासिख़)
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हम बुरे हैं बहुत बुरे हैं मगर,
हमसे अच्छा यहाँ कोई नहीं
(अरग़वान रब्बही)
~ Status Shayari
आदमी वक़्त पर गया होगा
वक़्त पहले गुज़र गया होगा
जौन एलिया (Jaun Elia)
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एहसास पर बेहतरीन शायरी
मुझको आदत है रूठ जाने की
आप मुझको मना लिया कीजे
जौन एलिया (Jaun Elia)
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किस लिए देखती हो आईना
तुम तो ख़ुद से भी ख़ूबसूरत हो
जौन एलिया (Jaun Elia)
जो गुज़ारी न जा सकी हमसे
हमने वो ज़िंदगी गुज़ारी है
जौन एलिया (Jaun Elia)
इक अजब हाल है कि अब उसको
याद करना भी बेवफ़ाई है
जौन एलिया (Jaun Elia)
ज़िंदगी किस तरह बसर होगी
दिल नहीं लग रहा मुहब्बत में
जौन एलिया (Jaun Elia)
कौन इस घर की देख-भाल करे
रोज़ इक चीज़ टूट जाती है
जौन एलिया (Jaun Elia)
क्या तकल्लुफ़ करें ये कहने में
जो भी ख़ुश है हम उससे जलते हैं
जौन एलिया (Jaun Elia)
बे-क़रारी सी बे-क़रारी है
वस्ल है और फ़िराक़ तारी है
जौन एलिया (Jaun Elia)
कोई मुझ तक पहुँच नहीं पाता
इतना आसान है पता मेरा
जौन एलिया (Jaun Elia)
हम उसे याद बहुत आएँगे
जब उसे भी कोई ठुकराएगा
क़तील शिफ़ाई
तुम पूछो और मैं न बताऊँ ऐसे तो हालात नहीं
एक ज़रा सा दिल टूटा है और तो कोई बात नहीं
क़तील शिफ़ाई
जब भी आता है मिरा नाम तिरे नाम के साथ
जाने क्यूँ लोग मिरे नाम से जल जाते हैं
क़तील शिफ़ाई
हज़ारों क़ुर्बतों पर यूँ मेरा महज़ूर हो जाना,
जहाँ से चाहता उनका वहीं से दूर हो जाना
जिगर मुरादाबादी
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मुहब्बत क्या है? तासीरे मुहब्बत किसको कहते हैं?
तेरा मजबूर कर देना मेरा मजबूर हो जाना
जिगर मुरादाबादी
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नज़र मिला के मेरे पास आके लूट लिया
नज़र हटी थी कि फिर मुस्कुरा के लूट लिया
जिगर मुरादाबादी
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बड़े वो आए दिले जाँ के लूटने वाले
नज़र से छेड़ दिया गुदगुदा के लूट लिया
जिगर मुरादाबादी
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इक लफ़्ज़े मुहब्बत का अदना ये फ़साना है
सिमटे तो दिले आशिक़ फैले तो ज़माने है
जिगर मुरादाबादी
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यह इश्क़ नहीं आसाँ इतना तो समझ लेना,
इक आग का दरिया है और डूब के जाना है
जिगर मुरादाबादी
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यही दुनिया हमें अच्छा भी समझ सकती थी
बस ज़रा चाल चलन बीच में आ जाता है।
अमीर इमाम (Ameer Imam)
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पेड़ मुझे हसरत से देखा करते थे
मैं जंगल में पानी लाया करता था
तहज़ीब हाफ़ी (Tehzeeb Hafi)
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लम्हे लम्हे से बनी है ये ज़माने की किताब
नुक़्ता नुक़्ता यहां सदियों का सफ़र लगता है
मोइद रशीदी (Moid Rasheedi)
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दिल के दरिया ने किनारों से मुहब्बत कर ली
तेज़ बहता है मगर कम नहीं होने पाता
सरवत ज़ेहरा (Sarwat Zehra)
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तेरे बिन घड़ियाँ गिनी हैं रात दिन
नौ बरस ग्यारह महीने सात दिन
रहमान फ़ारिस (Rehman Faris)
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मुझे न रोक किसी लहर के इशारे से
मैं उठ रहा हूँ ज़माने! तिरे किनारे से
स्वप्निल तिवारी (Swappnil Tiwari)
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मिरे अलावा सभी लोग अब ये मानते हैं
ग़लत नहीं थी मिरी राय उसके बारे में
शहराम सर्मदी (Shahram Sarmadi)
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बिछड़ गए तो ये दिल उम्र भर लगेगा नहीं
लगेगा लगने लगा है मगर लगेगा नहीं
उमैर नज्मी (Umair Najmi)
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चौंक उठ्ठा हूँ तिरे लम्स के एहसास के साथ
आ गया हूँ किसी सहरा में नई प्यास के साथ
राग़िब अख़्तर (Raghib Akhtar)
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आज कुछ और ही मंजर है मेरे चारों तरफ
गैर-महसूस तरीके से हवा चलती है
लियाक़त जाफ़री (Liaqat Jafri)
~ Status Shayari
‘दिल’ शब्द पर शायरी