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Chaand Shayari Ishq ab meri jaan hai goya - Jaleel ManikpuriA couple gaze longingly at nature. Dressed in "Old German" clothes, according to Robert Hughes they are "scarcely different in tone or modelling from the deep dramas of nature around them"

उर्दू शाइरी में कुछ अलफ़ाज़ अक्सर इस्तेमाल में आते हैं, इन्हीं में से एक शब्द है “मुहब्बत”. आज हम इसी लफ़्ज़ की चर्चा करेंगे. असल में इस शब्द की चर्चा करने के पीछे कारण ये है कि इस शब्द को हमने कई जगह “मोहब्बत” लिखा देखा. ‘मुहब्बत (محبّت)’ और ‘मोहब्बत(موحبّت)’ (Muhabbat or Mohabbat) के लिखने और बोलने दोनों में फ़र्क़ है लेकिन हमने ये बार-बार देखा कि लोग इस शब्द को ‘मोहब्बत’ लिख रहे हैं. ऐसा करने वाले लोगों में आम ओ ख़ास से लेकर कुछ बड़े मशहूर अख़बार भी हैं.

‘मुहब्बत’ मूलतः अरबी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ होता है प्यार, स्नेह, इश्क़, ममता, इत्यादि. ‘मुहब्बत’ को कुछ लोग ‘महब्बत’ भी पढ़ते हैं जोकि सही है लेकिन इसको ‘मोहब्बत’ नहीं पढ़ा जा सकता. ये एक ऐसा शब्द है जो उर्दू शाइरी में बार-बार इस्तेमाल में आता रहा है. जो लोग उर्दू शाइरी की तकनीक जानते हैं उन्हें ये ज़रूर मालूम होगा कि ‘मुहब्बत’ शब्द का वज़्न 122 होगा. इसका कारण ये है कि इसको ‘मु-हब्-बत’ इस तरह से पढ़ते हैं और हम आपको पहले ही बता चुके हैं कि वज़्न करते समय हमें इस बात का ध्यान रखना होता है कि किस हर्फ़ की कितनी आवाज़ है. अब अगर मुहब्बत की जगह ‘मोहब्बत’ लिख रहे हैं तो इसका वज़्न 222 हो जाएगा। इसलिए मुहब्बत ही लिखना और पढ़ना सही है।

ऐसे ही कुछ और शब्द भी हैं जो पिछले दिनों ग़लत तरह से लिखे जाने लगे हैं जिनमें ‘मैंने’ को ‘मैं ने’, ‘तूने’ को ‘तू ने’, ‘तुमने’ को ‘तुम ने’, ‘उनको’ को ‘उन को’, ‘मुझको’ को ‘मुझ को’, ‘उसको’ को ‘उस को’, ‘मुहल्ला’ को ‘मोहल्ला’ इत्यादि.

(Muhabbat or Mohabbat)

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