fbpx
Radeef kya hai Urdu Shayari Behr Mutqarib Mushaira Urdu Shayari संज्ञा के प्रकारSahitya Duniya

Mushaira Urdu Shayari ~ इस सीरीज़ में यूँ तो अभी हम ‘ वज़्न करने का तरीक़ा‘ बता रहे हैं लेकिन बीच-बीच में हम कुछ और बातें भी कर रहे हैं. इसी सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए हम आज बात करेंगे मुशाइरों में इस्तेमाल होने वाले अलफ़ाज़ और उनके अर्थ के बारे में. आम हों या ख़ास सभी लोग मुशाइरों में जाना पसंद करते हैं. अपनी पसंद के शाइरों को सुनने का मौक़ा मिले तो आख़िर क्यूँ ना लोग जाएँ लेकिन ऐसा अक्सर देखने में आता है कि मुशाइरे के मंच से जो बातें कही जा रही हैं उसे आम लोग समझ नहीं पाते. अक्सर उर्दू के कुछ ऐसे अलफ़ाज़ इस्तेमाल में आते हैं जो आम लोगों के लिए मुश्किल से हो जाते हैं. इसी बात को ध्यान में रखते हुए हमने कुछ लफ़्ज़ों की लिस्ट बनायी है जिसे हम उनके अर्थ के साथ आपके सामने पेश कर रहे हैं.

शाइर (شاعر): कवि.
शाइरा(شاعرا): कवियत्री.
दाद(داد): तारीफ़.
ख्व़ातीन-ओ-हज़रात: इसका अर्थ है “लेडीज़ एंड जेंटलमेन”
ख्व़ातीन(خواتین): लेडीज़
हज़रात(حضرات): जेंटलमेन
मोहतरम(موحترم): आदरणीय. अक्सर करके मुशाइरों में सुनने को मिलता है “मोहतरम ख्व़ातीन ओ हज़रात”.
ज़हमत(زحمت): इस शब्द का अर्थ है परेशानी. मुशाइरों में कई बार ये सुनने को मिलता है कि “मैं मोहतरम जनाब … को अपना कलाम पेश करने की ज़हमत दे रहा हूँ”. यहाँ पर तहज़ीब का ख़याल रखते हुए इस लफ़्ज़ का इस्तेमाल किया गया है.
एहतराम(احترام): एहतराम का अर्थ होता है इज़्ज़त करना.
सा’मईन (سامعین): इस शब्द का अर्थ होता है सुनने वाले. अक्सर मुशाइरों में इस शब्द का इस्तेमाल होता है.
सदारत (صدارت): इसका अर्थ होता है “अध्यक्षता”. अक्सर ये लफ़्ज़ इस तरह से इस्तेमाल में आता है “इस मुशाइरे की सदारत जनाब …. कर रहे हैं”.
अर्ज़ (عرض)- मंच से शाइर कहता है “अर्ज़ किया है”, इसका अर्थ है कि वो प्रार्थना कर रहा है कि शेर पेश करने की इजाज़त दीजिये, इसके जवाब में सामईन कहते हैं “इरशाद”.
इरशाद(ارشاد): इसका अर्थ है इजाज़त है.
उन्वान (عنوان): उन्वान का अर्थ है शीर्षक. अक्सर मुशाइरों में नज़्म सुनाते वक़्त शाइर/शाइरा ये कहते हुए सुने जा सकते हैं-“इस नज़्म का उन्वान है …”
मुकर्रर (مکرر): इस शब्द का अर्थ है दुबारा. अक्सर मुशाइरों में जब सुनने वालों को कोई शेर बहुत पसंद आ जाता है तो कहते हैं मुकर्रर, यानी शेर दुबारा पढ़िए.
जदीद(جدید): इसका अर्थ है नया, आधुनिक. जब कोई शाइर नए मिज़ाज और नए दौर के मौज़ूँ को अपनी शाइरी में शामिल करता है तो उसे जदीद शाइरी का शाइर माना जाता है. मोहसिन नक़वी और ज़फ़र इक़बाल को जदीद उर्दू शाइरी का शाइर कहा जाता है.
जदीदियत (جدیدیت): ये शब्द जदीद से ही बना है, इसका अर्थ है आधुनिकता.
क़दीम (قدیم): इसका अर्थ है पुराना, रवायती.
गुस्ताख़ी (گستاخی): इसका अर्थ होता है अशिष्टता.
मज़ीद (مزید): इस शब्द का अर्थ होता है अतिरिक्त, ज़्यादा, और भी.
मुख़्तसर(مختصر): इसका अर्थ होता है कम शब्दों में.
तारीख़(تاریخ): तारीख़ शब्द का अर्थ दिनांक होता है लेकिन इसका एक अर्थ और होता है और वो है इतिहास.
ख़िराज ए अक़ीदत (خراج ے عقیدت): किसी के सम्मान में श्रद्धा पेश करना.
समाअ’त फ़रमाइए (سماعت فرمائے): ग़ौर फ़रमाइए.
तह्तुल्लफ़्ज़ (تحت اللفظ) : नज़्म या ग़ज़ल को तरन्नुम (गा कर) से ना पढ़कर साधारण ढंग से पढ़ना.
तरन्नुम (ترنّم) : नज़्म या ग़ज़ल को गा कर पढ़ना. कई बार किसी शाइर से सामईन गुज़ारिश करते हैं कि तरन्नुम में पढ़िये, इसका मतलब है कि गाकर पढ़िए.
अदीब(ادیب) : साहित्यकार
रस्म उल ख़त (رسم الخط) – इसका अर्थ होता है “लिपि”. जैसे देवनागरी लिपि, फ़ारसी लिपि, रोमन लिपि इत्यादि.
इस्लाह(اصلاح): इस्लाह का अर्थ है सलाह लेना. अक्सर नए शाइर अपने उस्ताद से इस्लाह लेते हैं.
Mushaira Urdu Shayari

4 thoughts on “मुशायरों में इस्तेमाल होने वाले अलफ़ाज़ …”
  1. साहित्य दुनिया एक बेहतर प्रयास है। इस तरह का काम कोई नहीं कर रहा है। सीखने वालों को यहाँ बहुत कुछ अच्छा मिल सकता है। इसे लम्बे समय तक चलाये रखिये। लम्बे समय में ये प्रयास बहुत अच्छा परिणाम देगा

  2. मुशायरे की तहज़ीब से जनसामान्य को परिचित कराने के लिए एक सराहनीय प्रयास ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *