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Bhogeshwari Phuknaani Freedom Fighter ~ आज सखी विशेष में हम बात करने वाले हैं एक ऐसी महिला क्रांतिकारी की बात करने वाले हैं जिन्होंने 70 वर्ष की उम्र में इस भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया। इनका नाम है भोगेश्वरी फुकनानी। 1885 में भोगेश्वरी फुकनानी असम के नौगाँव में जन्मी थीं। दो बेटी और छः बेटों की माँ भोगेश्वरी फुकनानी एक ऐसी गृहणी थीं जो आठ बच्चों और घर की ज़िम्मेदारी सम्भालने के साथ-साथ देश की क्रांति में भागीदार बनना चाहती थीं।

इसके लिए उन्होंने कस्बे की महिलाओं का संगठन बनाया। महिलाओं को प्रोत्साहित किया कि वो घर की चारदीवारी से बाहर आकर आन्दोलन में शामिल हों। भोगेश्वरी फुकनानी ने भारत छोड़ो आंदोलन में मुख्य भूमिका निभायी। वो बेरहमपुर, बाबाजिया और बरपूजिया इलाक़े में सक्रिय रहीं। यहाँ तक कि उनके नेतृत्व में पार्टी का कार्यालय अंग्रेज़ों से मुक्त करवाकर स्थापित किया गया।

भोगेश्वरी फुकनानी ने 1930 में अहिंसात्मक मार्च में भाग लिया जिसके कारण उन पर नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाकर गिरफ़्तार कर लिया गया। लेकिन वो इन बातों से नहीं घबरायीं बल्कि लगातार इस तरह के अहिंसात्मक रैली का हिस्सा बनती रहीं। बल्कि उनके बेटे भी उनके साथ हुआ करते थे।

1942 में ऐसी ही एक रैली में भोगेश्वरी फुकनानी अपने बेटे के साथ शामिल हुई थीं। इस रैली कारण पार्टी कार्यालय अंग्रेज़ों के अधिकार से छिन गया इस ख़ुशी में सितम्बर 1942 में एक रैली का आयोजन हुआ। इस रैली में अंग्रेज़ी सैनिकों ने अचानक हमला बोल दिया और गाँव वालों को घेरकर सभी पर प्रहार करने लगे।भोगेश्वरी फुकनानी और उनकी महिला साथी हाथ में झंडा लिए लगातार ‘वन्दे मातरम’ का नारा लगाते रहे।

भोगेश्वरी फुकनानी का जोश वहाँ सभी को उत्साहित करने लगा ये देखकर उग्र भीड़ को रोकने के लिए अंग्रेज़ी अफ़सर ने भोगेश्वरी फुकनानी की महिला साथी के हाथ से झंडा छीन लिया और वो दूर जा गिरीं। भोगेश्वरी फुकनानी ने अंग्रेज अफ़सर पर झंडे के डंडे से प्रहार कर दिया। घायल होते अफ़सर ने भोगेश्वरी फुकनानी पर गोलियों की बरसात कर दी। 1942 सितम्बर का वो दिन एक वीरांगना के बलिदान के लिए याद किया जाता है।

देश के लिए कुछ कर गुज़रने की भावना ने उम्र और डर की सीमा को तोड़ना सिखाया और इनसे सीख लेकर कई महिलाओं ने अपना नाम देशप्रेम के सुनहरे अक्षरों में गुदवाया। असम में भोगेश्वरी फुकनानी के नाम पर अस्पताल और इंडोर स्टेडियम बनवाया गया है। ऐसी वीरांगनाओं को हमारा नमन है।

Bhogeshwari Phuknaani Freedom Fighter

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