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Broken Heart Shayari

Broken Heart Shayari ~

रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ
आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ

अहमद फ़राज़
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किस किस को बताएँगे जुदाई का सबब हम
तू मुझसे ख़फ़ा है तो ज़माने के लिए आ

अहमद फ़राज़
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थी बहुत तेज़ जो सर्दी की हवा,
ये भी मुश्किल है कि ठहरा होगा

अरग़वान रब्बही

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जानता हूँ एक ऐसे शख़्स को मैं भी ‘मुनीर’
ग़म से पत्थर हो गया लेकिन कभी रोया नहीं

मुनीर नियाज़ी

अमीर मीनाई के बेहतरीन शेर…
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आवाज़ दे के देख लो शायद वो मिल ही जाए
वर्ना ये उम्र भर का सफ़र राएगाँ तो है

मुनीर नियाज़ी
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ग़म की बारिश ने भी तेरे नक़्श को धोया नहीं
तूने मुझको खो दिया मैंने तुझे खोया नहीं

मुनीर नियाज़ी
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ज़ब्त करना अगर नहीं आता, ग़म ज़माने की जान ले लेते,
सारी दुनिया हमारी दुश्मन थी, हम ज़माने की जान ले लेते

अरग़वान रब्बही
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अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें
जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें

अहमद फ़राज़

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गर बाज़ी इश्क़ की बाज़ी है जो चाहो लगा दो डर कैसा
गर जीत गए तो क्या कहना हारे भी तो बाज़ी मात नहीं

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
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ज़िंदगी से यही गिला है मुझे
तू बहुत देर से मिला है मुझे

अहमद फ़राज़
उर्दू को लेकर पाँच सवाल!
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चला था ज़िक्र ज़माने की बेवफ़ाई का
सो आ गया है तुम्हारा ख़याल वैसे ही

अहमद फ़राज़
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कितना आसाँ था तिरे हिज्र में मरना जानाँ
फिर भी इक उम्र लगी जान से जाते जाते

अहमद फ़राज़
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उस को जुदा हुए भी ज़माना बहुत हुआ
अब क्या कहें ये क़िस्सा पुराना बहुत हुआ

अहमद फ़राज़
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दिल भी पागल है कि उस शख़्स से वाबस्ता है
जो किसी और का होने दे न अपना रक्खे

अहमद फ़राज़
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अब और क्या किसी से मरासिम बढ़ाएँ हम
ये भी बहुत है तुझ को अगर भूल जाएँ हम

अहमद फ़राज़
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क्या कहा इश्क़ जावेदानी है!
आख़िरी बार मिल रही हो क्या

जौन एलिया
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नासिर काज़मी के बेहतरीन शेर..
ज़ख़्म झेले दाग़ भी खाए बहुत
दिल लगा कर हम तो पछताए बहुत

मीर तक़ी मीर
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तुम्हारी याद के जब ज़ख़्म भरने लगते हैं
किसी बहाने तुम्हें याद करने लगते हैं

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

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फिर किसी की याद ने तड़पा दिया
फिर कलेजा थाम कर हम रह गए

फ़ानी बदायूँनी

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ऐ दिल की ख़लिश चल यूँही सही चलता तो हूँ उनकी महफ़िल में
उस वक़्त मुझे चौंका देना जब रंग पे महफ़िल आ जाए

बहज़ाद लखनवी
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ख़ंजर चले किसी पे तड़पते हैं हम ‘अमीर’
सारे जहाँ का दर्द हमारे जिगर में है

अमीर मीनाई

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कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगी
यूँ कोई बेवफ़ा नहीं होता

बशीर बद्र
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तुम मुहब्बत को खेल कहते हो
हमने बर्बाद ज़िंदगी कर ली

बशीर बद्र
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तुम मुझे छोड़ के जाओगे तो मर जाऊँगा
यूँ करो जाने से पहले मुझे पागल कर दो

बशीर बद्र
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हम तो कुछ देर हँस भी लेते हैं
दिल हमेशा उदास रहता है

बशीर बद्र
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भूले हैं रफ़्ता रफ़्ता उन्हें मुद्दतों में हम
क़िस्तों में ख़ुद-कुशी का मज़ा हमसे पूछिए

ख़ुमार बाराबंकवी

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Broken Heart Shayari

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