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Parveen Shakir Best Sher

Parveen Shakir Best Sher

अब भला छोड़ के घर क्या करते
शाम के वक़्त सफ़र क्या करते

परवीन शाकिर
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तेरी मसरूफ़ियतें जानते हैं
अपने आने की ख़बर क्या करते

परवीन शाकिर
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राय पहले से बना ली तूने
दिल में अब हम तिरे घर क्या करते

परवीन शाकिर
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इश्क़ ने सारे सलीक़े बख़्शे
हुस्न से कस्ब-ए-हुनर क्या करते

परवीन शाकिर
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नासिर काज़मी के बेहतरीन शेर..

कैसे कह दूँ कि मुझे छोड़ दिया है उसने
बात तो सच है मगर बात है रुस्वाई की

परवीन शाकिर
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कुछ तो हवा भी सर्द थी कुछ था तिरा ख़याल भी
दिल को ख़ुशी के साथ साथ होता रहा मलाल भी

परवीन शाकिर
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मैं सच कहूँगी मगर फिर भी हार जाऊँगी
वो झूठ बोलेगा और ला-जवाब कर देगा

परवीन शाकिर
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कमाल-ए-ज़ब्त को ख़ुद भी तो आज़माऊँगी
मैं अपने हाथ से उस की दुल्हन सजाऊँगी

परवीन शाकिर

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अब तो इस राह से वो शख़्स गुज़रता भी नहीं
अब किस उम्मीद पे दरवाज़े से झाँके कोई

परवीन शाकिर
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वो मुझको छोड़ के जिस आदमी के पास गया
बराबरी का भी होता तो सब्र आ जाता

परवीन शाकिर

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हारने में इक अना की बात थी
जीत जाने में ख़सारा और है

परवीन शाकिर
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दुष्यंत कुमार के बेहतरीन शेर..

रात के शायद एक बजे हैं
सोता होगा मेरा चाँद

परवीन शाकिर
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अब भी बरसात की रातों में बदन टूटता है
जाग उठती हैं अजब ख़्वाहिशें अंगड़ाई की

परवीन शाकिर
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वो तो ख़ुश-बू है हवाओं में बिखर जाएगा
मसअला फूल का है फूल किधर जाएगा

परवीन शाकिर
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अपनी रुस्वाई तिरे नाम का चर्चा देखूँ
इक ज़रा शेर कहूँ और मैं क्या क्या देखूँ

परवीन शाकिर

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बहुत से लोग थे मेहमान मेरे घर लेकिन
वो जानता था कि है एहतिमाम किस के लिए

परवीन शाकिर

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अहमद फ़राज़ के बेहतरीन शेर…

चलने का हौसला नहीं रुकना मुहाल कर दिया
इश्क़ के इस सफ़र ने तो मुझको निढाल कर दिया

परवीन शाकिर
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वो न आएगा हमें मालूम था इस शाम भी
इंतिज़ार उस का मगर कुछ सोच कर करते रहे

परवीन शाकिर
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इतने घने बादल के पीछे
कितना तन्हा होगा चाँद

परवीन शाकिर
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बारहा तेरा इंतिज़ार किया
अपने ख़्वाबों में इक दुल्हन की तरह

परवीन शाकिर
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हुस्न के समझने को उम्र चाहिए जानाँ
दो घड़ी की चाहत में लड़कियाँ नहीं खुलतीं

परवीन शाकिर

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राय पहले से बना ली तूने
दिल में अब हम तिरे घर क्या करते

परवीन शाकिर

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कुछ तो तिरे मौसम ही मुझे रास कम आए
और कुछ मिरी मिट्टी में बग़ावत भी बहुत थी

परवीन शाकिर

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दुश्मनों के साथ मेरे दोस्त भी आज़ाद हैं
देखना है खींचता है मुझ पे पहला तीर कौन

परवीन शाकिर

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चलने का हौसला नहीं रुकना मुहाल कर दिया
इश्क़ के इस सफ़र ने तो मुझको निढाल कर दिया

परवीन शाकिर
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मिलते हुए दिलों के बीच और था फ़ैसला कोई
उसने मगर बिछड़ते वक़्त और सवाल कर दिया

परवीन शाकिर
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मुमकिना फ़ैसलों में एक हिज्र का फ़ैसला भी था
हमने तो एक बात की उसने कमाल कर दिया

परवीन शाकिर

जोश मलीहाबादी के बेहतरीन शेर..

Parveen Shakir Best Sher

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