Sucheta Kripalani ~ भारत में हमेशा महिलाओं ने अपना योगदान देने में कमी नहीं रखी ख़ासकर जब भी बात देश की आयी महिलाएँ आगे आकर अपना योगदान दिया करती थीं। आज जिस क्रांतिकारी महिला की हम बात करने वाले हैं वो हैं 25 जून 1908 में पंजाब के अंबाला में जन्मी सुचेता मजूमदार का जिन्हें बाद में सुचेता कृपलानी के नाम से जाना गया। उनके पिता एक सरकारी चिकित्सक थे इसलिए पिता के तबादले के कारण उन्हें भी अलग-अलग जगहों पर रहने का मौक़ा मिला और उनकी प्रारम्भिक शिक्षा कई शालाओं में पूरी हुई।
सुचेता कृपलानी को भारत की पहली महिला मुख्यमंत्री (First Woman CM of India) के तौर पर जाना गया लेकिन ये राह इतनी आसान नहीं रही। बचपन में अलग-अलग शालाओं में शिक्षा लेने के बाद आगे की पढ़ाई दिल्ली में पूरी करके सुचेता कृपलानी ने दिल्ली में ही इहिहास विषय में स्नातक की डिग्री ली। महात्मा गांधी के विचारों का समर्थन करने वाली सुचेता कृपलानी का नाम उन चंद महिलाओं में शामिल होता है जो महात्मा गांधी के नेतृत्व में आज़ादी की नींव रखने में शामिल रहीं।
बहुत छोटी उम्र से ही सुचेता कृपलानी (Sucheta Kripalani) ने गांधीजी के साथ स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेना शुरू कर दिया था। इसी बीच उनकी मुलाक़ात राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रमुख नेता जे बी कृपलानी से हुई जिन्हें आचार्य कृपलानी के नाम से जाना जाता है। 18 साल की उम्र में ही सुचेता कृपलानी ने स्वयं से बीस साल बड़े जे बी कृपलानी से शादी कर ली। 21 साल की उम्र में ही वो पूरी तरह स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई में कूदना चाहती थीं कि पारिवारिक ज़िम्मेदारियों ने उन्हें घेर लिया। पिता और बहन की असामयिक मृत्यु ने उन्हें परिवार की ओर मोड़ दिया।
अपने पति आचार्य कृपलानी के साथ सुचेता कृपलानी ने राजनीति का रूख कर लिया। 1940 में उन्होंने ‘अखिल भारतीय महिला कांग्रेस’ की स्थापना की। 1942 के ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ में वो काफ़ी सक्रिय रहीं और उन्हें एक साल के लिए जेल में भी रहना पड़ा। 1946 में वो संविधान सभा की सदस्य बनी और 1949 में उन्हें संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रतिनिधि के रूप में चुना गया। भारत के स्वतंत्र होने के बाद भी सुचेता कृपलानी राजनीति में सक्रिय रहीं। 1958-1960 तक वो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की महासचिव रहीं।
1962 में उन्होंने उत्तरप्रदेश से चुनाव लड़कर जीत हासिल की और शर्म, सामुदायिक विकास और उद्योग विभाग की कैबिनेट मंत्री बनीं और साल 1963 में वो उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं। 1963 से 1967 तक वो इस पद पर आसीन रहीं, देश की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं। 1971 में राजनीति से सन्यास लेने के बाद उन्होंने दिल्ली में अपना जीवन व्यतीत किया। निसंतान होने के कारण उन्होंने अपना सारा धन और सम्पत्ति लोक कल्याण समिति को दाना कर दिया।
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सुचेता कृपलानी ने अपनी आत्मकथा भी लिखना शुरू किया जिसका नाम था “एन अनफ़िनिश्ड ऑटोबाओग्राफ़ी’ यानी ‘एक अधूरी आत्मकथा’ ये तीन भागों में प्रकाशित हुई। 1 दिसम्बर 1974 को सुचेता कृपलानी ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। सुचेता कृपलानी मन से कोमल और विचारों से दृढ़ महिला थीं और अपने कर्मों से एक मिसाल बन गयीं। ऐसी हर महिला को हम नमन करते हैं, जिनके योगदान ने कई महिलाओं के लिए मार्ग खोल दिया।
Sucheta Kripalani