वज़ीर आग़ा की ग़ज़ल: “ऐसे गए कि फिर न कभी लौटना हुआ…”
wazeer aagha ghazal : बादल छटे तो रात का हर ज़ख़्म वा हुआ आँसू रुके तो आँख में महशर बपा…
हिन्दी और उर्दू साहित्य का संगम
wazeer aagha ghazal : बादल छटे तो रात का हर ज़ख़्म वा हुआ आँसू रुके तो आँख में महशर बपा…