क्या होती है ग़ज़ल और क्या है नज़्म?

Urdu Shayari Phool Urdu Lafz Gham Ghazal Kaise Likhen Urdu Sahitya Ghazal Aur Nazm Mein Farq

Ghazal Aur Nazm Mein Farq
ग़ज़ल:
ग़ज़ल में एक ही ज़मीन होती है और पूरी ग़ज़ल एक बह्र में ही कही जाती है. मत’ला के दोनों मिसरे रदीफ़ और क़ाफ़िये पर ख़त्म होते हैं जबकि बाक़ी शे’रों में सिर्फ़ दूसरे मिसरे ही रदीफ़ और क़ाफ़िये में बंधे होते हैं. एक ग़ज़ल में एक से अधिक मत’ले हो सकते हैं.

मा’नी के लिहाज़ से ग़ज़ल के हर शे’र का अपना अलग अर्थ होता है. ग़ज़ल में शे’रों की संख्या निर्धारित नहीं है, फिर भी ये माना जाता है कि इसमें कम से कम पांच शे’र तो होने ही चाहियें और अधिक से अधिक शे’रों की कोई सीमा नहीं है . पुराने ज़माने में लोग ये मानते थे कि ग़ज़ल में अश’आर (शे’रों) की संख्या विषम होनी चाहिए लेकिन इस नियम का ना तब कोई पालन करता था और ना ही आज इस पर कोई ध्यान देता है, यूँ भी इस नियम का कोई मतलब भी नहीं है. Ghazal Aur Nazm Mein Farq
एक बात यहाँ बताते चलें कि अक्सर लोगों को ये लगता है कि पूरी ग़ज़ल एक ही टॉपिक पर होती है लेकिन ऐसा नहीं है. हर शे’र अपने आप में मुक़म्मल है और मतलब के लिहाज़ से इसका दूसरे शे’र से कोई सम्बन्ध नहीं होता.कुल मिलाकर बस रदीफ़, क़ाफ़िया और एक ही बह्र का होना ज़रूरी है.

Read more

‘मेरे बुज़ुर्गों ने मुझको तहज़ीब सिखाई चार बजे’

बैठे-बिठाए हो गई घर में मार-कुटाई चार बजे मेरे बुज़ुर्गों ने मुझको तहज़ीब सिखाई चार बजे उल्टी हो गईं सब तदबीरें कुछ न दुआ ने काम किया अम्मी और अब्बा ने मिल कर मेरा काम तमाम किया आज मुहल्ले-भर में गूँजी मेरी दुहाई चार बजे मेरे बुज़ुर्गों ने मुझको तहज़ीब सिखाई चार बजे नाहक़ हम … Read more

मई दिवस: सलाम मछलीशहरी की नज़्म….”सड़क बन रही है”

त वाले शब्द Sher Ka Wazn अ वाले शब्द Salam Machhlishahri Ki Nazm

मई दिवस पर साहित्य दुनिया की ओर से पाठकों के लिए पेश कर रहे हैं सलाम मछली शहरी की मशहूर नज़्म “सड़क बन रही है”. Salam Machhlishahri Ki Nazm मई के महीने का मानूस मंज़र ग़रीबों के साथी ये कंकर ये पत्थर वहाँ शहर से एक ही मील हट कर सड़क बन रही है ज़मीं … Read more