गूँगी-रविंद्रनाथ टैगोर Tagore Goongi
भाग-1
(अब तक आपने पढ़ा…चंडीगढ़ के वाणीकंठ की छोटी पुत्री सुभाषिणी जन्म से ही मूक है और उसके माता-पिता के लिए चिंता का विषय भी है। सुभा की चुप को घर के लोग उसकी कुछ महसूस न कर पाने वाली शक्ति भी समझने लगे हैं और वो उसके सामने ही उसके विषय में तरह-तरह की राय देते रहते है, जिस पर सुभा कुछ भी व्यक्त तो नहीं करती और जितना उसकी आँखों से व्यक्त हो भी जाता है उसे भी घर के लोग अनदेखा ही कर देते हैं। फ़ुर्सत मिलते ही सुभा नदी के किनारे मिलती है और जब मन व्यथित हो तो गौशाला में अपनी गायों के गले लगे हुए। इन सबके अलावा उसका एक मित्र और है प्रताप, जिसे परिवार के लोगों ने भी आलसी और कामचोर घोषित किया हुआ है। लेकिन सुभा उसे अपना मित्र मानती है। प्रताप को मछली पकड़ने का शौक़ है और सुभा को नदी किनारे बैठने का बस यहीं दोनों की दोस्ती जम गयी। प्रताप बैठा-बैठा मछलियाँ पकड़ता रहता और नदी किनारे सुभा का मन प्रताप को लेकर तरह-तरह के सपनों को चुनता और उसमें सुभा खो जाया करती। लेकिन प्रताप के मन की कौन कहे वो तो कहकर भी शायद कुछ न कहता था। अब आगे..)