चाँद का मुँह टेढ़ा है ~ गजानन माधव मुक्तिबोध

Chand Ka Munh Tedha Hai Main Tum Logon Se Door Hoon Gajanan Madhav Muktibodh

Chand Ka Munh Tedha Hai ~ चाँद का मुँह टेढ़ा है ~ गजानन माधव मुक्तिबोध नगर के बीचों-बीच आधी रात—अँधेरे की काली स्याह शिलाओं से बनी हुई भीतों और अहातों के, काँच-टुकड़े जमे हुए ऊँचे-ऊँचे कंधों पर चाँदनी की फैली हुई सँवलाई झालरें। कारख़ाना—अहाते के उस पार धूम्र मुख चिमनियों के ऊँचे-ऊँचे उद्गार—चिह्नाकार—मीनार मीनारों के … Read more