घनी कहानी, छोटी शाखा: मुंशी प्रेमचंद की कहानी “ढपोरशंख” का अंतिम भाग

Premchand ki kahani Dhaporshankh

Premchand ki kahani Dhaporshankh ढपोरशंख- मुंशी प्रेमचंद पहला भाग दूसरा भाग तीसरा भाग चौथा भाग पाँचवाँ भाग छठा भाग भाग-7 (अब तक आपने पढ़ा…लेखक यहाँ अपने एक मित्र ढपोरशंख की कहानी सुना रहे हैं। ढपोरशंख ने जब लेखक को अपने एक दोस्त के विषय में बताया तो उनकी पत्नी ने उस दोस्त करुणाकर को धोखेबाज़ … Read more

नटखट कहानी- नादान दोस्त

Baal Kavita Hindi

Premchand ki kahani Nadan Dost नादान दोस्त- प्रेमचंद केशव के घर में कार्निस के ऊपर एक चिड़िया ने अण्डे दिए थे। केशव और उसकी बहन श्यामा दोनों बड़े ध्यान से चिड़ियों को वहाँ आते-जाते देखा करते। सवेरे दोनों आँखें मलते कार्निस के सामने पहुँच जाते और चिड़ा या चिड़िया दोनों को वहाँ बैठा पाते। उनको … Read more

घनी कहानी, छोटी शाखा: मुंशी प्रेमचंद की कहानी “ढपोरशंख” का पाँचवाँ भाग

Premchand ki Dhaporshankh

ढपोरशंख- मुंशी प्रेमचंद भाग-5 (Premchand ki Dhaporshankh अब तक आपने पढ़ा…लेखक यहाँ अपने एक मित्र ढपोरशंख की कहानी सुना रहे हैं। ढपोरशंख ने जब लेखक को अपने एक दोस्त के विषय में बताया तो उनकी पत्नी ने उस दोस्त करुणाकर को धोखेबाज़ कहा इस बात पर फ़ैसला करने के लिए लेखक को पाँच बनाकर लेखक … Read more

घनी कहानी, छोटी शाखा: मुंशी प्रेमचंद की कहानी “ढपोरशंख” का चौथा भाग

Munshi Premchand ki Dhaporshankh

ढपोरशंख- मुंशी प्रेमचंद भाग-4 Munshi Premchand ki Dhaporshankh(अब तक आपने पढ़ा…लेखक अपने एक मित्र के यहाँ आए हैं जिन्हें वो ढपोरशंख कहकर बुलाते हैं। इस मित्र के यहाँ आने पर उन्हें ढेर सारी चिट्ठियाँ मिलती हैं, जिसके बारे में पूछने पर पता चलता है कि वो उन्हें एक नए मित्र करुणाकर ने लिखी हैं। इस … Read more

घनी कहानी, छोटी शाखा: मुंशी प्रेमचंद की कहानी “ढपोरशंख” का पहला भाग

Munshi Premchand ki kahani Dhaporshankh

Munshi Premchand ki kahani Dhaporshankh – ढपोरशंख- मुंशी प्रेमचंद भाग-1  Munshi Premchand ki kahani Dhaporshankh:: मुरादाबाद में मेरे एक पुराने मित्र हैं, जिन्हें दिल में तो मैं एक रत्न समझता हूँ पर पुकारता हूँ ढपोरशंख कहकर और वह बुरा भी नहीं मानते। ईश्वर ने उन्हें जितना ह्रदय दिया है, उसकी आधी बुद्धि दी होती, तो … Read more

घनी कहानी, छोटी शाखा: मुंशी प्रेमचंद की कहानी “कोई दुःख न हो तो बकरी ख़रीद लो” का अंतिम भाग

कोई दुःख न हो तो बकरी ख़रीद लो- मुंशी प्रेमचंद भाग-5 (अब तक आपने पढ़ा…अच्छा और शुद्ध दूध पाने की चाह में लेखक अपने दोस्त के साथ मिलकर एक गाय पालता है लेकिन कुछ दिन बाद उन्हें दूध के नाम पर मिलावट ही मिलती है, लेखक अपने दोस्त को कुछ भी नहीं कहता और जब … Read more

घनी कहानी, छोटी शाखा: मुंशी प्रेमचंद की कहानी “कोई दुःख न हो तो बकरी ख़रीद लो” का चौथा भाग

कोई दुःख न हो तो बकरी ख़रीद लो- मुंशी प्रेमचंद भाग-4 (अब तक आपने पढ़ा…दूध की बढ़ती किल्लत और अच्छा दूध न मिलने पर लेखक अपने एक मित्र के साथ मिलकर एक गाय पालने की योजना बनाते हैं और दोनों मिलकर गाय पाल लेते हैं, ये गाय लेखक के मित्र के यहाँ रहती है. इसके … Read more

घनी कहानी, छोटी शाखा: मुंशी प्रेमचंद की कहानी “कोई दुःख न हो तो बकरी ख़रीद लो” का दूसरा भाग

कोई दुःख न हो तो बकरी ख़रीद लो- मुंशी प्रेमचंद भाग-2 (अब तक आपने पढ़ा..दूध की परेशानी से बचने के लिए लेखक अपने मित्र के साथ मिलकर गाय खरीदने की योजना बनाते हैं और दोनों मिलकर गाय ख़रीद लेते हैं जिसे पहले से किए समझौते के मुताबिक गाय लेखक के दोस्त के घर ही रहती … Read more

घनी कहानी, छोटी शाखा: मुंशी प्रेमचंद की कहानी “कोई दुःख न हो तो बकरी ख़रीद लो” का पहला भाग

कोई दुःख न हो तो बकरी ख़रीद लो- मुंशी प्रेमचंद भाग-1 उन दिनों दूध की तकलीफ़ थी। कई डेरी फ़ार्मों की आज़माइश की, अहारों का इम्तहान लिया, कोई नतीजा नहीं हुआ। दो-चार दिन तो दूध अच्छा मिलता फिर मिलावट शुरू हो जाती। कभी शिकायत होती दूध फट गया, कभी उसमें से नागवार बू आने लगी, … Read more

घनी कहानी, छोटी शाखा: मुंशी प्रेमचंद की कहानी “सोहाग का शव” का तीसरा भाग

सोहाग का शव- मुंशी प्रेमचंद Premchand ki kahani Suhag Ka Shav घनी कहानी, छोटी शाखा: मुंशी प्रेमचंद की कहानी “सोहाग का शव” का पहला भाग घनी कहानी, छोटी शाखा: मुंशी प्रेमचंद की कहानी “सोहाग का शव” का दूसरा भाग भाग-3 (अब तक आपने पढ़ा..केशव और सुभद्रा की शादी को एक ही साल हुए हैं और … Read more