ख़्वाब पर बेहतरीन शेर…
Khwab Shayari इक मुअम्मा है समझने का न समझाने का ज़िंदगी काहे को है ख़्वाब है दीवाने का फ़ानी बदायुनी…
हिन्दी और उर्दू साहित्य का संगम
Khwab Shayari इक मुअम्मा है समझने का न समझाने का ज़िंदगी काहे को है ख़्वाब है दीवाने का फ़ानी बदायुनी…
Sach Shayari ~ सादिक़ हूँ अपने क़ौल का ‘ग़ालिब’ ख़ुदा गवाह कहता हूँ सच कि झूठ की आदत नहीं मुझे…
Moid Rasheedi Shayari ~ लगता है तबाही मिरी क़िस्मत से लगी है ये कौन सी आँधी मिरे अंदर से उठी…
Rukhsar Shayari मुद्दत से इक लड़की के रुख़्सार की धूप नहीं आई इस लिए मेरे कमरे में इतनी ठंडक रहती…