मिर्ज़ा रफ़ी सौदा की रुबाइयाँ और ग़ज़लें
Mirza Rafi Sauda Shayari रुबाइयाँ Mirza Rafi Sauda Shayari 1. गर यार के सामने मैं रोया तो क्या, मिज़्गाँ में जो लख़्त-ए-दिल पिरोया तो क्या ये दाना-ए-अश्क सब्ज़ होना मालूम इस शूर ज़मीं में तुख़्म बोया तो क्या 2. ऐ शैख़-ए-हरम तक तुझे आना जाना, ये तौफ़ जुलाहे काहे ताना बाना पहचानेगा वाँ क्या उसे … Read more