दो शा’इर, दो ग़ज़लें (19): क़तील शिफ़ाई और दाग़ देहलवी
Qateel Shifai Daagh Dehlvi क़तील शिफ़ाई की ग़ज़ल: दिल पे आए हुए इल्ज़ाम से पहचानते हैं दिल पे आए हुए इल्ज़ाम से पहचानते हैं, लोग अब मुझ को तिरे नाम से पहचानते हैं आईना-दार-ए-मोहब्बत हूँ कि अरबाब-ए-वफ़ा अपने ग़म को मिरे अंजाम से पहचानते हैं बादा ओ जाम भी इक वजह-ए-मुलाक़ात सही हम तुझे गर्दिश-ए-अय्याम … Read more