घनी कहानी, छोटी शाखा: मुंशी प्रेमचंद की कहानी “सोहाग का शव” का तीसरा भाग

सोहाग का शव- मुंशी प्रेमचंद Premchand ki kahani Suhag Ka Shav घनी कहानी, छोटी शाखा: मुंशी प्रेमचंद की कहानी “सोहाग का शव” का पहला भाग घनी कहानी, छोटी शाखा: मुंशी प्रेमचंद की कहानी “सोहाग का शव” का दूसरा भाग भाग-3 (अब तक आपने पढ़ा..केशव और सुभद्रा की शादी को एक ही साल हुए हैं और … Read more

घनी कहानी, छोटी शाखा: मुंशी प्रेमचंद की कहानी “सोहाग का शव” का दूसरा भाग

सोहाग का शव- मुंशी प्रेमचंद Suhag Ka Shav घनी कहानी, छोटी शाखा: मुंशी प्रेमचंद की कहानी “सोहाग का शव” का पहला भाग भाग-2 (अब तक आपने पढ़ा..ये कहानी मध्यप्रदेश के एक छोटे से पहाड़ी गाँव की है। केशव जो मुंबई यूनिवर्सिटी से एम. ए. की डिग्री पाकर अब नागपुर में अध्यापन का काम करता है … Read more

घनी कहानी, छोटी शाखा: जयशंकर प्रसाद की कहानी “पुरस्कार” का अंतिम भाग

पुरस्कार-जयशंकर प्रसाद Hindi Kahani Puruskar घनी कहानी, छोटी शाखा: जयशंकर प्रसाद की कहानी “पुरस्कार” का पहला भाग घनी कहानी, छोटी शाखा: जयशंकर प्रसाद की कहानी “पुरस्कार” का दूसरा भाग भाग-3 (अब तक आपने पढ़ा..कौशल राज्य के वार्षिक कृषि उत्सव में जब मधूलिका की भूमि को चुना जाता है तो वो उत्सव का भाग तो बनती … Read more

घनी कहानी, छोटी शाखा: जयशंकर प्रसाद की कहानी “पुरस्कार” का दूसरा भाग

पुरस्कार-जयशंकर प्रसाद Jaishankar Prasad Kahani Puruskar घनी कहानी, छोटी शाखा: जयशंकर प्रसाद की कहानी “पुरस्कार” का पहला भाग भाग-2 (अब तक आपने पढ़ा..कौशल राज्य का कृषि-उत्सव चल रहा है, जिसमें एक दिन के लिए राजा कृषक बनकर एक खेत जोतते और रोपते हैं, जिसके लिए गाँव के ही किसी किसान का उपजाऊ खेत चुना जाता … Read more

घनी कहानी, छोटी शाखा: जयशंकर प्रसाद की कहानी “पुरस्कार” का पहला भाग

पुरस्कार-जयशंकर प्रसाद Jaishankar Prasad Ki Kahani Puruskar भाग-1 आर्द्रा नक्षत्र, आकाश में काले-काले बादलों की घुमड़, जिसमें देव-दुन्दुभी का गम्भीर घोष। प्राची के एक निरभ्र कोने से स्वर्ण-पुरुष झाँकने लगा था; देखने लगा महाराज की सवारी। शैलमाला के अञ्चल में समतल उर्वरा भूमि से सोंधी बास उठ रही थी। नगर-तोरण से जयघोष हुआ, भीड़ में … Read more

घनी कहानी, छोटी शाखा: चंद्रधर शर्मा ‘गुलेरी’ की कहानी “घंटाघर” का अंतिम भाग

Ishq ki shayari Kaifi Azmi Shayari Hindi Noshi Gilani Shayari Qateel Shifai Daagh Dehlvi Hari Shankar Parsai Jaishankar Prasad Amrita Pritam Ki Kahani Vrahaspativar ka vrat ~ "बृहस्पतिवार का व्रत" Rajendra Bala Ghosh Ki Kahani Dulaiwali

घंटाघर- चंद्रधर शर्मा ‘गुलेरी’ Chandradhar Guleri Ghantaghar घनी कहानी, छोटी शाखा: चंद्रधर शर्मा ‘गुलेरी’ की कहानी “घंटाघर” का पहला भाग भाग-2 (अब तक आपने पढ़ा। एक इंसान ने अपने जाने के लिए एक मार्ग बनाया और उसके बाद वो एक राजमार्ग बन गया, और उस रास्ते से आगे एक पूज्य स्थान बन गया। वो इंसान … Read more

घनी कहानी, छोटी शाखा: चंद्रधर शर्मा ‘गुलेरी’ की कहानी “घंटाघर” का पहला भाग

Famous Urdu Shayari Hum Maut Bhi Aaye to Masroor Nahin Hote

घंटाघर- चंद्रधर शर्मा ‘गुलेरी’ Chandradhar Sharma Guleri Ghantaghar भाग-1 एक मनुष्य को कहीं जाना था। उसने अपने पैरों से उपजाऊ भूमि को बंध्या करके पगडंडी काटी और वह वहाँ पर पहला पहुँचने वाला हुआ। दूसरे, तीसरे और चौथे ने वास्तव में उस पगडंडी को चौड़ी किया और कुछ वर्षों तक यों ही लगातार जाते रहने … Read more

घनी कहानी, छोटी शाखा: रवीन्द्रनाथ टैगोर की कहानी “गूँगी” का अंतिम भाग

Tagore Premchand Kahani

गूँगी-रविंद्रनाथ टैगोर Tagore Goongi
भाग-1

(अब तक आपने पढ़ा…चंडीगढ़ के वाणीकंठ की छोटी पुत्री सुभाषिणी जन्म से ही मूक है और उसके माता-पिता के लिए चिंता का विषय भी है। सुभा की चुप को घर के लोग उसकी कुछ महसूस न कर पाने वाली शक्ति भी समझने लगे हैं और वो उसके सामने ही उसके विषय में तरह-तरह की राय देते रहते है, जिस पर सुभा कुछ भी व्यक्त तो नहीं करती और जितना उसकी आँखों से व्यक्त हो भी जाता है उसे भी घर के लोग अनदेखा ही कर देते हैं। फ़ुर्सत मिलते ही सुभा नदी के किनारे मिलती है और जब मन व्यथित हो तो गौशाला में अपनी गायों के गले लगे हुए। इन सबके अलावा उसका एक मित्र और है प्रताप, जिसे परिवार के लोगों ने भी आलसी और कामचोर घोषित किया हुआ है। लेकिन सुभा उसे अपना मित्र मानती है। प्रताप को मछली पकड़ने का शौक़ है और सुभा को नदी किनारे बैठने का बस यहीं दोनों की दोस्ती जम गयी। प्रताप बैठा-बैठा मछलियाँ पकड़ता रहता और नदी किनारे सुभा का मन प्रताप को लेकर तरह-तरह के सपनों को चुनता और उसमें सुभा खो जाया करती। लेकिन प्रताप के मन की कौन कहे वो तो कहकर भी शायद कुछ न कहता था। अब आगे..)

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घनी कहानी, छोटी शाखा: रवीन्द्रनाथ टैगोर की कहानी “गूँगी” का दूसरा भाग

Tagore Premchand Kahani

गूँगी-रविंद्रनाथ टैगोर Tagore Ki Kahani Goongi घनी कहानी, छोटी शाखा: रवीन्द्रनाथ टैगोर की कहानी “गूँगी” का पहला भाग भाग-2 (अब तक आपने पढ़ा..चंडीपुर में रहने वाली सुभाषिणी जन्म से ही मूक है इसलिए माता-पिता उसके लिए मन में अलग से भाव रखते हैं जहाँ पिता उसे बड़ी दोनों बहनों से ज़रा ज़्यादा स्नेह देते हैं वहीं … Read more

घनी कहानी, छोटी शाखा: रवीन्द्रनाथ टैगोर की कहानी “गूँगी” का पहला भाग

Tagore Premchand Kahani

गूँगी-रविंद्रनाथ टैगोर Goongi Rabindra Nath Tagore भाग-1 कन्या का नाम जब सुभाषिणी रखा गया था तब कौन जानता था कि वह गूंगी होगी। इसके पहले, उसकी दो बड़ी बहनों के सुकेशिनी और सुहासिनी नाम रखे जा चुके थे, इसी से तुकबन्दी मिलाने के हेतु उसके पिता ने छोटी कन्या का नाम रख दिया सुभाषिणी। अब … Read more