दो शाइर, दो नज़्में(7): परवीन शाकिर और फ़हमीदा रियाज़
Parveen Shakir Fehmida Riyaz _________________________________ परवीन शाकिर की नज़्म: नहीं मेरा आँचल मैला है नहीं मेरा आँचल मैला है और तेरी दस्तार के सारे पेच अभी तक तीखे हैं किसी हवा ने इनको अब तक छूने की जुरअत नहीं की है तेरी उजली पेशानी पर गए दिनों की कोई घड़ी पछतावा बन के नहीं फूटी … Read more