Urdu Shayari Ke Lafz क़मर (قمر) और कमर (کمر)
Urdu Shayari Ke Lafz: अक्सर लोगों को कमर और क़मर एक से लगते हैं पर थोड़े से अलग हैं. दोनों शब्दों का अर्थ भी बिलकुल जुदा है. पहला शब्द क़मर है, जिसका अर्थ होता है चाँद जबकि दूसरा शब्द कमर है, कमर का अर्थ होता है शरीर का एक हिस्सा जिसे अंग्रेज़ी में Waist कहते हैं. दोनों ही लफ़्ज़ों का इस्तेमाल किया जाता रहा है.
1. क़मर [वज़्न- 12 (क़-1, मर-2)]
मीर का शे’र-
“फूल गुल शम्स ओ क़मर सारे ही थे,
पर हमें उन में तुम्हीं भाए बहुत”
इब्न ए मुफ़्ती का शे’र-
“चैन आएगा कैसे आज की शब,
तारे निकले, क़मर नहीं आया”
2. कमर [वज़्न- 12 (क-1, मर-2)]
अहमद मुश्ताक़ का शे’र-
बहुत उदास हो तुम और मैं भी बैठा हूँ
गए दिनों की कमर से कमर लगाए हुए
(कमर और क़मर दोनों एक ही वज़्न के हैं तो इसलिए ज़मीन के मुताबिक़ इनके साथ नज़र, असर, मगर, घर, ख़बर, बर, अगर, डगर, पर, बशर, बसर, सहर, गुज़र, सफ़र इत्यादि क़ाफ़िए लिए जा सकते हैं)
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उरूज (عروج) और अरूज़ (عروض)
उरूज शब्द का अर्थ है बुलंदी. अक्सर लोग बोलते वक़्त इसे उरूज़ बोल जाते हैं जबकि सही लफ़्ज़ उरूज है, उरूज में ज के नीचे बिंदी नहीं है. अरूज़ एक दूसरा शब्द है जिसका अर्थ इल्म-ए-अरूज़ से है, बोलने का तरीक़ा अरूज़ होना चाहिए लेकिन कुछ लोग उरूज़ भी बोलते हैं. अरूज़ शब्द का अर्थ छंदशास्र से है.
उरूज [वज़्न- 121 (उ-1,रू-2, ज-1)]
अब्दुल हमीद अदम का शे’र –
“कितने उरूज पर भी हो मौसम बहार का,
है फूल सिर्फ़ वो जो सर-ए-ज़ुल्फ़-ए-यार हो”
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