Urdu Shayari Ke Shabd अलविदा’अ(الوداع): इसका अर्थ होता है इस शब्द को अक्सर लोग अलविदा पढ़ते हैं लेकिन इसको सही तरह से पढेंगे तो अलविदा’अ पढेंगे. उर्दू शा’इरी में इसका वज़्न 2121 लिया जाता है. (अल-2, वि-1,दा-2,अ-1)
मख़मूर सईदी का शेर-
घर में रहा था कौन कि रुख़्सत करे हमें,
चौखट को अलविदा’अ कहा और चल पड़े
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शा’इरी (شہری): शा’इरी का अर्थ है कविता. ज़्यादातर लोग इस शब्द को शायरी पढ़ते हैं जोकि ठीक नहीं है. इसका सही उच्चारण “शाइरी” है. उर्दू शा’इरी में इसका वज़्न 212 लिया जाता है. (शा-2, इ-1, री-2)
अहमद फ़राज़ का शे’र-
सुना है उस को भी है शेर ओ शाइरी से शग़फ़,
सो हम भी मोजज़े अपने हुनर के देखते हैं
(शग़फ़- लगाव, मोजज़े- करिश्मे)
[इसी शब्द से जुड़े कुछ और अलफ़ाज़ हैं शाइर, शाइरा, शाइराना जिन्हें आमतौर पर लोग शायर, शायरा, शायराना पढ़ते, बोलते नज़र आते हैं जोकि ठीक नहीं है.]
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त’अज्जुब (تعجب): इसका अर्थ होता है आश्चर्य, हैरत. त’अज्जुब को अक्सर लोग ताज्जुब पढ़ते नज़र आते हैं जोकि ग़लत उच्चारण है, सही त’अज्जुब है. त’अज्जुब शब्द का वज़्न 122 होगा. (त-1, अज्-2,जुब-2)
मुस’हफ़ी का शेर-
क्या तअज्जुब है अगर फिर के हो अहया मेरा,
कि मिरी क़ब्र पे आया है मसीहा मेरा
[इसी से मिलकर “त’अज्जुबअंगेज़” या “त’अज्जुबनाक”, इन दोनों ही शब्दों का अर्थ आश्चर्यजनक होता है.] (Urdu Shayari Mein Shabdon ka Prayog)
मेरे, मिरे, तेरे, तिरे, दिवाने, दीवाने, एक, इक…
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