Husn Shayari
किसी का यूँ तो हुआ कौन उम्र भर फिर भी
ये हुस्न ओ इश्क़ तो धोका है सब मगर फिर भी
फ़िराक़ गोरखपुरी
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तुम हुस्न की ख़ुद इक दुनिया हो शायद ये तुम्हें मालूम नहीं
महफ़िल में तुम्हारे आने से हर चीज़ पे नूर आ जाता है
साहिर लुधियानवी
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उस हुस्न के सच्चे मोती को हम देख सकें पर छू न सकें
जिसे देख सकें पर छू न सकें वो दौलत क्या वो ख़ज़ाना क्या
इब्न-ए-इंशा
इश्क़ का ज़ौक़-ए-नज़ारा मुफ़्त में बदनाम है
हुस्न ख़ुद बे-ताब है जल्वा दिखाने के लिए
असरार-उल-हक़ मजाज़
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अपनी अना की आज भी तस्कीन हमने की
जी भर के उसके हुस्न की तौहीन हमने की
इक़बाल साजिद
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तुम्हारा हुस्न आराइश तुम्हारी सादगी ज़ेवर
तुम्हें कोई ज़रूरत ही नहीं बनने सँवरने की
असर लखनवी
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आईने में वो देख रहे थे बहार-ए-हुस्न
आया मिरा ख़याल तो शर्मा के रह गए
हसरत मोहानी
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लखनवी शायरी ~ सैयद इंशा अल्लाह ख़ाँ ‘इंशा’
मुस्कुराहट है हुस्न का ज़ेवर
मुस्कुराना न भूल जाया करो
अब्दुल हमीद अदम
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हम अपना इश्क़ चमकाएँ तुम अपना हुस्न चमकाओ
कि हैराँ देख कर आलम हमें भी हो तुम्हें भी हो
बहादुर शाह ज़फ़र
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हुस्न इक दिलरुबा हुकूमत है
इश्क़ इक क़ुदरती ग़ुलामी है
अब्दुल हमीद अदम
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हुस्न आफ़त नहीं तो फिर क्या है
तू क़यामत नहीं तो फिर क्या है
जलील मानिकपूरी
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तहज़ीब हाफ़ी के बेहतरीन शेर
Husn Shayari