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Gulzar Best SherGulzar

Gulzar Best Sher ~ आज के दौर के सबसे सम्मानित शाइरों का जब ज़िक्र होगा तो गुलज़ार का ज़िक्र सबसे पहले की फ़ेहरिस्त में होगा. 18 अगस्त 1934 को गुलज़ार का जन्म दीना में हुआ जो आज पाकिस्तान के पंजाब में है. गुलज़ार ने शाइरी तो की ही, साथ ही फ़िल्मों का निर्देशन भी किया. गुलज़ार को मौजूदा दौर में उर्दू शाइरी का स्तम्भ माना जाता है. गुलज़ार के कुछ शेर हम यहाँ पेश कर रहे हैं–

आपके बा’द हर घड़ी हमने
आपके साथ ही गुज़ारी है

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शाम से आँख में नमी सी है
आज फिर आप की कमी सी है

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राहत इन्दौरी के बेहतरीन शेर

अपने साए से चौंक जाते हैं
उम्र गुज़री है इस क़दर तन्हा

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जिस की आँखों में कटी थीं सदियाँ
उसने सदियों की जुदाई दी है

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कितनी लम्बी ख़ामोशी से गुज़रा हूँ
उनसे कितना कुछ कहने की कोशिश की

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आइना देख कर तसल्ली हुई
हमको इस घर में जानता है कोई

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वक़्त रहता नहीं कहीं टिक कर
आदत इसकी भी आदमी सी है

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आदतन तुमने कर दिए वादे
आदतन हमने ए’तिबार किया
जोश मलीहाबादी के बेहतरीन शेर..
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हाथ छूटें भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते
वक़्त की शाख़ से लम्हे नहीं तोड़ा करते

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हमने अक्सर तुम्हारी राहों में
रुक कर अपना ही इंतिज़ार किया

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तुम्हारे ख़्वाब से हर शब लिपट के सोते हैं
सज़ाएँ भेज दो हमने ख़ताएँ भेजी हैं

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उमैर नज्मी के बेहतरीन शेर…

ख़ुशबू जैसे लोग मिले अफ़्साने में
एक पुराना ख़त खोला अनजाने में

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जब भी ये दिल उदास होता है
जाने कौन आस-पास होता है

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हमने अक्सर तुम्हारी राहों में
रुक कर अपना ही इंतिज़ार किया

अख़्तर शीरानी की नज़्म ‘ऐ इश्क़ हमें बर्बाद न कर’
दकनी शायर: बीजापुर और गोलकुंडा के दरबार की शायरी
मन में गहरे पैठती हैं, ममता सिंह के कहानी संग्रह ‘किरकिरी’ की हर कहानी

Gulzar Best Sher

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