Munawwar Rana Shayari
अब जुदाई के सफ़र को मिरे आसान करो
तुम मुझे ख़्वाब में आ कर न परेशान करो
मुनव्वर राना
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कुछ बिखरी हुई यादों के क़िस्से भी बहुत थे
कुछ उसने भी बालों को खुला छोड़ दिया था
मुनव्वर राना
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तमाम जिस्म को आँखें बना के राह तको
तमाम खेल मुहब्बत में इंतिज़ार का है
मुनव्वर राना
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अभी ज़िंदा है माँ मेरी मुझे कुछ भी नहीं होगा
मैं घर से जब निकलता हूँ दुआ भी साथ चलती है
मुनव्वर राना
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चलती फिरती हुई आँखों से अज़ाँ देखी है
मैं ने जन्नत तो नहीं देखी है माँ देखी है
मुनव्वर राना
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ये सोच के माँ बाप की ख़िदमत में लगा हूँ
इस पेड़ का साया मिरे बच्चों को मिलेगा
मुनव्वर राना
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जब भी कश्ती मिरी सैलाब में आ जाती है
माँ दुआ करती हुई ख़्वाब में आ जाती है
मुनव्वर राना
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तुम्हें भी नींद सी आने लगी है, थक गए हम भी
चलो हम आज ये क़िस्सा अधूरा छोड़ देते हैं
मुनव्वर राना
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तुम्हारा नाम आया और हम तकने लगे रस्ता
तुम्हारी याद आई और खिड़की खोल दी हमने
मुनव्वर राना
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एक आँसू भी हुकूमत के लिए ख़तरा है
तुमने देखा नहीं आँखों का समुंदर होना
मुनव्वर राना
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भुला पाना बहुत मुश्किल है सब कुछ याद रहता है
मुहब्बत करने वाला इस लिए बरबाद रहता है
मुनव्वर राना
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बर्बाद कर दिया हमें परदेस ने मगर
माँ सब से कह रही है कि बेटा मज़े में है
मुनव्वर राना
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इश्क़ है तो इश्क़ का इज़हार होना चाहिए
आपको चेहरे से भी बीमार होना चाहिए
मुनव्वर राना
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आप दरिया हैं तो फिर इस वक़्त हम ख़तरे में हैं
आप कश्ती हैं तो हमको पार होना चाहिए
मुनव्वर राना
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ख़फ़ा होना ज़रा सी बात पर तलवार हो जाना
मगर फिर ख़ुद-ब-ख़ुद वो आप का गुलनार हो जाना
मुनव्वर राना
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नज़र नीची किए उस का गुज़रना पास से मेरे
ज़रा सी देर रुकना फिर सबा-रफ़्तार हो जाना
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अपनी यादों से कहो इक दिन की छुट्टी दे मुझे
इश्क़ के हिस्से में भी इतवार होना चाहिए
मुनव्वर राना
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अगर सोने के पिंजड़े में भी रहता है तो क़ैदी है
परिंदा तो वही होता है जो आज़ाद रहता है
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लिपट जाती है सारे रास्तों की याद बचपन में
जिधर से भी गुज़रता हूँ मैं रस्ता याद रहता है
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Munawwar Rana Shayari