Dard Bhari Shayari
बिछड़ गए तो ये दिल उम्र भर लगेगा नहीं
लगेगा लगने लगा है मगर लगेगा नहीं
उमैर नज्मी (Umair Najmi)
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मुझसे नफ़रत है अगर उस को तो इज़हार करे
कब मैं कहता हूँ मुझे प्यार ही करता जाए
इफ़्तिख़ार नसीम (Iftikhar Naseem)
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मैं उसको हर रोज़ बस यही एक झूट सुनने को फ़ोन करता
सुनो यहाँ कोई मसअला है तुम्हारी आवाज़ कट रही है
तहज़ीब हाफ़ी (Tehzeeb Hafi)
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हमारे घर की दीवारों पे ‘नासिर’
उदासी बाल खोले सो रही है
नासिर काज़मी (Nasir Kazmi)
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कुछ तो हवा भी सर्द थी कुछ था तिरा ख़याल भी
दिल को ख़ुशी के साथ साथ होता रहा मलाल भी
परवीन शाकिर (Parveen Shakir)
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ज़ब्त करना अगर नहीं आता, ग़म ज़माने की जान ले लेते,
सारी दुनिया हमारी दुश्मन थी, हम ज़माने की जान ले लेते
अरग़वान रब्बही (Arghwan Rabbhi)
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अब तो इस राह से वो शख़्स गुज़रता भी नहीं
अब किस उम्मीद पे दरवाज़े से झाँके कोई
परवीन शाकिर (Parveen Shakir)
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कुछ ज़रूरत से कम किया गया है
तेरे जाने का ग़म किया गया है
तहज़ीब हाफ़ी (Tehzeeb Hafi)
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चंद कलियाँ नशात की चुन कर मुद्दतों महव-ए-यास रहता हूँ
तेरा मिलना ख़ुशी की बात सही तुझ से मिल कर उदास रहता हूँ
साहिर लुधियानवी (Sahir Ludhianvi)
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सुपुर्द कर के उसे चाँदनी के हाथों में
मैं अपने घर के अँधेरों को लौट आऊँगी
परवीन शाकिर (Parveen Shakir)
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तेरे बिन घड़ियाँ गिनी हैं रात दिन
नौ बरस ग्यारह महीने सात दिन
रहमान फ़ारिस (Rehman Faris)
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किसी के तुम हो किसी का ख़ुदा है दुनिया में
मिरे नसीब में तुम भी नहीं ख़ुदा भी नहीं
अख़्तर सईद ख़ान (Akhtar Saeed Khan)
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हम तो कुछ देर हँस भी लेते हैं
दिल हमेशा उदास रहता है
बशीर बद्र (Bashir Badr)
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दीवारों से मिल कर रोना अच्छा लगता है
हम भी पागल हो जाएँगे ऐसा लगता है
क़ैसर-उल जाफ़री (Qaisar Ul Jafri)
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ख़ुदा की इतनी बड़ी काएनात में मैंने
बस एक शख़्स को माँगा मुझे वही न मिला
बशीर बद्र (Bashir Badr)
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मुझे न रोक किसी लहर के इशारे से
मैं उठ रहा हूँ ज़माने! तिरे किनारे से
स्वप्निल तिवारी (Swappnil Tiwari)
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उठते नहीं हैं अब तो दुआ के लिए भी हाथ
किस दर्जा ना-उमीद हैं परवरदिगार से
अख़्तर शीरानी (Akhtar Shirani)
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न जाने किस लिए उम्मीद-वार बैठा हूँ
इक ऐसी राह पे जो तेरी रहगुज़र भी नहीं
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ (Faiz Ahmed Faiz)
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इश्क़ में कौन बता सकता है
किस ने किस से सच बोला है
अहमद मुश्ताक़ (Ahmad Mushtaq)
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तेरा मिलना ख़ुशी की बात सही
तुझसे मिल कर उदास रहता हूँ
साहिर लुधियानवी (Sahir Ludhianvi)
________ Dard Bhari Shayari
कोई तो ऐसा घर होता जहाँ से प्यार मिल जाता
वही बेगाने चेहरे हैं जहाँ जाएँ जिधर जाएँ
साहिर लुधियानवी (Sahir Ludhianvi)
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हम तो समझे थे कि हम भूल गए हैं उनको,
क्या हुआ आज ये किस बात रोना आना
साहिर लुधियानवी (Sahir Ludhianvi)
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आज तक अपनी बेकली का सबब,
ख़ुद भी जाना नहीं कि तुझ से कहें
अहमद फ़राज़ (Ahmed Faraz)
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ये शुक्र है कि मिरे पास तेरा ग़म तो रहा
वगर्ना ज़िंदगी भर को रुला दिया होता
गुलज़ार (Gulzar)
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अब कौन मुंतज़िर है हमारे लिए वहाँ
शाम आ गई है लौट के घर जाएँ हम तो क्या
मुनीर नियाज़ी (Munir Niazi)
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कितनी दिलकश हो तुम कितना दिल-जू हूँ मैं,
क्या सितम है कि हम लोग मर जाएँगे
जौन एलिया (Jaun Eliya)
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हमारे घर का पता पूछने से क्या हासिल
उदासियों की कोई शहरियत नहीं होती
वसीम बरेलवी (Waseem Barelvi)
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कौन रोता है किसी और की ख़ातिर ऐ दोस्त
सब को अपनी ही किसी बात पे रोना आया
साहिर लुधियानवी (Sahir Ludhianvi)
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इस जुदाई में तुम अंदर से बिखर जाओगे
किसी मा’ज़ूर को देखोगे तो याद आऊँगा
वसी शाह (Wasi Shah)
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कर रहा था ग़म-ए-जहाँ का हिसाब
आज तुम याद बे-हिसाब आए
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ (Faiz Ahmad Faiz)
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ऐ मुहब्बत तिरे अंजाम पे रोना आया
जाने क्यूँ आज तिरे नाम पे रोना आया
शकील बदायूँनी (Shakeel Budanyuni)
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जब हुआ ज़िक्र ज़माने में मुहब्बत का ‘शकील’
मुझ को अपने दिल-ए-नाकाम पे रोना आया
शकील बदायूनी (Shakeel Budanyuni)
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दुनिया की महफ़िलों से उकता गया हूँ या रब
क्या लुत्फ़ अंजुमन का जब दिल ही बुझ गया हो
अल्लामा इक़बाल (Allama Iqbal)
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मैं हूँ दिल है तन्हाई है
तुम भी होते अच्छा होता
फ़िराक़ गोरखपुरी (Firaq Gorakhpuri)
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शाम भी थी धुआँ धुआँ हुस्न भी था उदास उदास
दिल को कई कहानियाँ याद सी आ के रह गईं
फ़िराक़ गोरखपुरी (Firaq Gorakhpuri)
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हम ग़म-ज़दा हैं लाएँ कहाँ से ख़ुशी के गीत
देंगे वही जो पाएँगे इस ज़िंदगी से हम
साहिर लुधियानवी (Sahir Ludhianvi)
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अभी न छेड़ मुहब्बत के गीत ऐ मुतरिब
अभी हयात का माहौल ख़ुश-गवार नहीं
साहिर लुधियानवी (Sahir Ludhianvi)
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मैं रोना चाहता हूँ ख़ूब रोना चाहता हूँ मैं
फिर उसके बाद गहरी नींद सोना चाहता हूँ मैं
फ़रहत एहसास (Farhat Ehsas)
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हम को न मिल सका तो फ़क़त इक सुकून-ए-दिल
ऐ ज़िंदगी वगर्ना ज़माने में क्या न था
आज़ाद अंसारी (Aazad Ansari)
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ग़म है न अब ख़ुशी है न उम्मीद है न यास
सब से नजात पाए ज़माने गुज़र गए
ख़ुमार बाराबंकवी (Khumar Barabankwi)
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इस डूबते सूरज से तो उम्मीद ही क्या थी
हंस हंस के सितारों ने भी दिल तोड़ दिया है
महेश चंद्र नक़्श (Mahesh Chandra Naqsh)
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रोने लगता हूँ मुहब्बत में तो कहता है कोई
क्या तिरे अश्कों से ये जंगल हरा हो जाएगा
अहमद मुश्ताक़ (Ahmad Mushtaq)
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ज़ख़्म ही तेरा मुक़द्दर हैं दिल तुझ को कौन सँभालेगा
ऐ मेरे बचपन के साथी मेरे साथ ही मर जाना
ज़ेब ग़ौरी (Zeb Ghauri)
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बिखेर दे मुझे चारों तरफ़ ख़लाओं में
कुछ इस तरह से अलग कर कि जुड़ न पाऊँ मैं
मुहम्मद अल्वी (Muhammad Alvi)
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दश्त में आख़िरी तमन्ना की,
और फिर ये हुआ कि तुम आए
अरग़वान रब्बही (Arghwan Rabbhi)
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आदतन तुमने कर दिए वादे
आदतन हमने ए’तिबार किया
गुलज़ार (Gulzar)
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मुझे सुने ना कोई मस्त-ए-बादा-ए-इशरत
मजाज़ टूटे हुए दिल की इक सदा हूँ मैं
मजाज़ (Majaz)
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तुम्हें ग़ैरों से कब फ़ुर्सत हम अपने ग़म से कब ख़ाली,
चलो बस हो चुका मिलना, ना तुम ख़ाली ना हम ख़ाली
जाफ़र अली “हसरत” (Jafar Ali Hasrat)
Dard Bhari Shayari