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Fahmi Badayuni ShayariBedouin crossing the river Tigris with plunder (c. 1860)

Fahmi Badayuni Shayari

ख़ुशी से काँप रही थीं ये उँगलियाँ इतनी
डिलीट हो गया इक शख़्स सेव करने में

फ़हमी बदायूनी
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ज़रा मोहतात होना चाहिए था
बग़ैर अश्कों के रोना चाहिए था

फ़हमी बदायूनी
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अब उनको याद कर के रो रहे हैं
बिछड़ते वक़्त रोना चाहिए था

फ़हमी बदायूनी
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वफ़ा मजबूर तुम को कर रही थी
तो फिर मजबूर होना चाहिए था

फ़हमी बदायूनी
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जावेद अख़्तर के बेहतरीन शेर…

आप तशरीफ़ लाए थे इक रोज़
दूसरे रोज़ ए’तिबार हुआ

फ़हमी बदायूनी

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पूछ लेते वो बस मिज़ाज मिरा
कितना आसान था इलाज मिरा

फ़हमी बदायूनी

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परेशाँ है वो झूठा इश्क़ करके
वफ़ा करने की नौबत आ गई है

फ़हमी बदायूनी
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अभिषेक शुक्ला के बेहतरीन शेर…

ख़ूँ पिला कर जो शेर पाला था
उसने सर्कस में नौकरी कर ली

फ़हमी बदायूनी
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निगाहें करती रह जाती हैं हिज्जे
वो जब चेहरे से इमला बोलता है

फ़हमी बदायूनी

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आज पैवंद की ज़रूरत है
ये सज़ा है रफ़ू न करने की

फ़हमी बदायूनी
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मैंने उस की तरफ़ से ख़त लिक्खा
और अपने पते पे भेज दिया

फ़हमी बदायूनी

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ख़ुशबू शायरी

मर गया हमको डाँटने वाला
अब शरारत में जी नहीं लगता

फ़हमी बदायूनी

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टहलते फिर रहे हैं सारे घर में
तिरी ख़ाली जगह को भर रहे हैं

फ़हमी बदायूनी

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काश वो रास्ते में मिल जाए
मुझको मुँह फेर कर गुज़रना है

फ़हमी बदायूनी

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फूलों को सुर्ख़ी देने में
पत्ते पीले हो जाते हैं

फ़हमी बदायूनी

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कुछ न कुछ बोलते रहो हमसे
चुप रहोगे तो लोग सुन लेंगे

फ़हमी बदायूनी

Fahmi Badayuni Shayari

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