fbpx
Chaand Shayari Ishq ab meri jaan hai goya - Jaleel ManikpuriA couple gaze longingly at nature. Dressed in "Old German" clothes, according to Robert Hughes they are "scarcely different in tone or modelling from the deep dramas of nature around them"

Ishq ab meri jaan hai goya – Jaleel Manikpuri

‘इश्क़ अब मेरी जान है गोया
जान अब मेहमान है गोया

सोज़-ए-दिल कह रही है महफ़िल में
शम’ मेरी ज़बान है गोया

जिसको देखो वही है गर्म-ए-तलाश
कहीं उस का निशान है गोया

है क़यामत उठान ज़ालिम की
वो अभी से जवान है गोया

छीने लेती है दिल तिरी तस्वीर
वो अदा है कि जान है गोया

एक दिल उसमें लाख ज़ख़्म-ए-फ़िराक़
टूटा-फूटा मकान है गोया

माँगे जाएँगे तुझको हम तुझसे
मुँह में जब तक ज़बान है गोया

जी बहलने को लोग सुनते हैं
दर्द-ए-दिल दास्तान है गोया

आदमी वक़्फ़-ए-कार-ए-दुनिया है
मेहमाँ मेज़बान है गोया

तेरी किस बात का भरोसा हो
तेरी हर बात जान है गोया

दिल में कैसे वो बे-तकल्लुफ़ हैं
उन का अपना मकान है गोया

हाए उस आलम-आश्ना की नज़र
हर नज़र में जहान है गोया

अच्छे-अच्छों को फाँस रक्खा है
ज़ाल-ए-दुनिया जवान है गोया

चुप रहूँ मैं तो सब खटकते हैं
बे-ज़बानी ज़बान है गोया

बेवफ़ाई पे मरते हैं मा’शूक़
दिलरुबाई की शान है गोया

कोई उस पर निगाह क्या डाले
तमकनत पासबान है गोया

तेरी सूरत तो कहती है क़ातिल
ख़ुद तिरा इम्तिहान है गोया

ख़ूब-रूयान-ए-माह-पैकर से
ये ज़मीं आसमान है गोया

आज है दीद की इजाज़त-ए-आम
मौत का इम्तिहान है गोया

वार पर वार करते जाते हैं
कुछ अभी मुझमें जान है गोया

इस सुख़न का ‘जलील’ क्या कहना
‘मुसहफ़ी’ की ज़बान है गोया

~ जलील मानिकपुरी

नोट- मशहूर शाइर जलील मानिकपुरी की इस ग़ज़ल में “गोया” रदीफ़ है जबकि “जान, मेहमान, ज़बान, निशान, जवान, जान, मकान, दास्तान, मेज़बान, जान, मकान, जहान, ज़बान, जवान, ज़बान, शान, पासबान, इम्तिहान, आसमान, इम्तिहान, जान, ज़बान” क़ाफ़िए हैं.
Ishq ab meri jaan hai goya – Jaleel Manikpuri

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *