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Javed Akhtar Best LinesJaved Akhtar and Shabana Azmi

Javed Akhtar Best Lines

हम तो बचपन में भी अकेले थे
सिर्फ़ दिल की गली में खेले थे

जावेद अख़्तर
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डर हमको भी लगता है रस्ते के सन्नाटे से
लेकिन एक सफ़र पर ऐ दिल अब जाना तो होगा

जावेद अख़्तर
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हफ़ीज़ मेरठी के बेहतरीन शेर…

याद उसे भी एक अधूरा अफ़्साना तो होगा
कल रस्ते में उसने हमको पहचाना तो होगा

जावेद अख़्तर
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तब हम दोनों वक़्त चुरा कर लाते थे
अब मिलते हैं जब भी फ़ुर्सत होती है

जावेद अख़्तर
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कभी जो ख़्वाब था वो पा लिया है
मगर जो खो गई वो चीज़ क्या थी

जावेद अख़्तर
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तुम ये कहते हो कि मैं ग़ैर हूँ फिर भी शायद
निकल आए कोई पहचान ज़रा देख तो लो

जावेद अख़्तर
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मुझे मायूस भी करती नहीं है
यही आदत तिरी अच्छी नहीं है

जावेद अख़्तर
फ़िल्मों में आए शेर…
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जिधर जाते हैं सब जाना उधर अच्छा नहीं लगता
मुझे पामाल रस्तों का सफ़र अच्छा नहीं लगता

जावेद अख़्तर
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ग़लत बातों को ख़ामोशी से सुनना हामी भर लेना
बहुत हैं फ़ाएदे इसमें मगर अच्छा नहीं लगता

जावेद अख़्तर

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मुझे दुश्मन से भी ख़ुद्दारी की उम्मीद रहती है
किसी का भी हो सर क़दमों में सर अच्छा नहीं लगता

जावेद अख़्तर
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मैं बचपन में खिलौने तोड़ता था
मिरे अंजाम की वो इब्तिदा थी

जावेद अख़्तर
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इस शहर में जीने के अंदाज़ निराले हैं
होंठों पे लतीफ़े हैं आवाज़ में छाले हैं

जावेद अख़्तर
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मैं पा सका न कभी इस ख़लिश से छुटकारा
वो मुझसे जीत भी सकता था जाने क्यूँ हारा

जावेद अख़्तर

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ज़रा मौसम तो बदला है मगर पेड़ों की शाख़ों पर नए पत्तों के आने में अभी कुछ दिन लगेंगे
बहुत से ज़र्द चेहरों पर ग़ुबार-ए-ग़म है कम बे-शक पर उन को मुस्कुराने में अभी कुछ दिन लगेंगे

जावेद अख़्तर

टूटे हुए दिल की शायरी
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अँधेरे ढल गए रौशन हुए मंज़र ज़मीं जागी फ़लक जागा तो जैसे जाग उट्ठी ज़िंदगानी
मगर कुछ याद-ए-माज़ी ओढ़ के सोए हुए लोगों को लगता है जगाने में अभी कुछ दिन लगेंगे

जावेद अख़्तर
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