Saleem Sarmad Shayari ~ सलीम सरमद की शायरी
सबके चेहरों पे तूफ़ान हैं मुंजमिद
ये पता ही नहीं नाख़ुदा कौन है
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दिल ही डूबे नहीं हुबाबों के
बुझ गए रुख़ भी आफ़ताबों के
अभिषेक शुक्ला के बेहतरीन शेर…
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मज़हबे – इश्क़ में पड़े थे हम
दूर दुनिया से फिर खड़े थे हम
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अपने ही आप से थी यारी और
अपने ही आप से लड़े थे हम
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पहले दुनिया मुझे सताती थी
और अब दिल सता रहा है मुझे
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मेरी आँखों में तन्हाई दिखेगी
मुझे तुम भीड़ में पहचान लोगे
फ़रहान ख़ान के बेहतरीन शेर
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मैं वो घर भी नहीं जो ज़लज़ले में मौत बांटेगा
मुझे आता है आफ़त में सलीक़े से बिखर जाना
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हो अगर शाम अपने क़स्बे में
देर तक चाँद देखता है मुझे
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ख़्वाब अपने किसी और को सौंप दो
ख़त्म होता नहीं आदमी का सफ़र
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रात कुछ इंतज़ाम कर इनका
दिन लुटेरे हैं मेरे ख्वाबों के
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वक़्त की आहटें भी पढ़ते हैं
सिर्फ़ शैदा नहीं किताबों के
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उम्र भी जा चुकी सवालों की
दौर आये हैं अब जवाबों के
अमीर इमाम के बेहतरीन शेर
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अब तो रस्ता हूँ कोई भी गुज़रे
इक ज़माने में घर रहा हूँ मैं
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जीते रहने की इक तमन्ना में
मरते-मरते भी जी रहा हूँ मैं
Saleem Sarmad Shayari
जावेद अख़्तर के बेहतरीन शेर…