Ameer Imam Shayari ~ अमीर इमाम आज के बेहतरीन शायरों में शुमार किए जाते हैं. उनके कुछ बेहतरीन शेर हम यहाँ पेश कर रहे हैं-
पहले सहरा से मुझे लाया समुंदर की तरफ़
नाव पर काग़ज़ की फिर मुझको सवार उसने किया
अमीर इमाम
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अपनी तरफ़ तो मैं भी नहीं हूँ अभी तलक
और उस तरफ़ तमाम ज़माना उसी का है
अमीर इमाम
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जो शाम होती है हर रोज़ हार जाता हूँ
मैं अपने जिस्म की परछाइयों से लड़ते हुए
अमीर इमाम
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हफ़ीज़ मेरठी के बेहतरीन शेर…
धूप में कौन किसे याद किया करता है
पर तिरे शहर में बरसात तो होती होगी
अमीर इमाम
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‘अमीर’ इमाम बताओ ये माजरा क्या है
तुम्हारे शेर उसी बाँकपन में लौट आए
अमीर इमाम
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ख़ामोशी के नाख़ुन से छिल जाया करते हैं
कोई फिर इन ज़ख़्मों पर आवाज़ें मलता है
अमीर इमाम
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इन को ख़ला में कोई नज़र आना चाहिए
आँखों को टूटे ख़्वाब का हर्जाना चाहिए
मुहम्मद रफ़ी साहब द्वारा गायी गई ग़ज़लें…
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वो काम रह के शहर में करना पड़ा हमें
मजनूँ को जिस के वास्ते वीराना चाहिए
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दानाइयाँ भी ख़ूब हैं लेकिन अगर मिले
धोका हसीन सा तो उसे खाना चाहिए
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सोच लो ये दिल-लगी भारी न पड़ जाए कहीं
जान जिसको कह रहे हो जान होती जाएगी
अमीर इमाम
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तिरे बदन की ख़लाओं में आँख खुलती है
हवा के जिस्म से जब जब लिपट के सोता हूँ
अमीर इमाम
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हर रंग एक रंग से हम-रंग हो गया
तस्वीर ज़िंदगी की उभरती चली गई
अमीर इमाम
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इस बार राह-ए-इश्क़ कुछ इतनी तवील थी
उसके बदन से हो के गुज़रना पड़ा मुझे
अमीर इमाम
पूरी अमीर इमाम की तस्वीर जब हुई
उसमें लहू का रंग भी भरना पड़ा मुझे
अमीर इमाम
Ameer Imam Shayari